उत्तराखंड : वन विभाग में विशेष अभियान चलाकर स्पोर्ट्स कोटे के तहत की गई भर्ती में फर्जीवाड़ा

देहरादून : उत्तराखंड में वन विभाग का नेशनल गेम होना था। इसमें नंबर वन बनने के लिए वन विभाग ने पूरी ताकत झोंक दी। संवेदनशील क्षेत्रों के डीएफओ जंगल की सुरक्षा को छोड़कर देहरादून में जमे रहे। बाद में पता चला कि वन विभाग में विशेष अभियान चलाकर स्पोर्ट्स कोटे के तहत की गई भर्ती में फर्जीवाड़ा हुआ है।

जब लगा कि मौजूदा वन कर्मियों के भरोसे पदक तालिका में ऊंचे पायदान पर पहुंचना मुश्किल है, तो वन मुख्यालय ने 2010-11 में स्पोर्ट्स कोटे के तहत खिलाड़ियों की विशेष भर्ती की योजना बनाई थी।

आमतौर वन विभाग में डीएफओ स्तर पर भर्ती होती थी, लेकिन यह विशेष अभियान था, इसके मद्देनजर तय हुआ कि डीएफओ देहरादून के तहत एकीकृत भर्ती की जाए। इसके लिए बाकायदा चयन कमेटी आदि बनाने की औपचारिकता पूरी की गई और आननफानन में करीब 22 खिलाड़ियों को भर्ती कर फारेस्ट गार्ड बना दिया गया।

यह मामला कई साल दबा रहा। इसी बीच सूचना का अधिकार के तहत स्पोर्ट्स कोटे के तहत भर्ती हुए खिलाड़ियों के शैक्षिक और खेल गतिविधियों के प्रमाण पत्र मांगे गए। इसके बाद खुलासा हुआ कि दो खिलाड़ियों के शैक्षिक योग्यता के प्रमाण पत्र संदिग्ध हैं। डीएफओ देहरादून पीके पात्रो के अनुसार कुछ तथ्य सामने आए थे। इसके बाद दो फॉरेस्ट गार्ड के शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच कराई गई है, जो फर्जी पाए गए हैं।

इन फॉरेस्ट गार्ड के संबंध में वन मुख्यालय को रिपोर्ट भेजने के साथ ही आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है। इन फॉरेस्ट गार्ड का वेतन रोक दिया गया गया है। अब बर्खास्तगी मुख्यालय स्तर से हो सकती है। प्रमुख वन संरक्षक (एचआरडी) मोनिष मल्लिक के अनुसार मामले में वैधानिक प्रक्रिया का पालन करते हुए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।