उत्तर प्रदेश में हो रहा है ‘रिवर्स लव जिहाद’

वह अब खुद को अमीषा ठाकुर कहती है, यह नाम उसको उसके पति अरविन्द ने दिया था। नीले और गुलाबी रंग की साड़ी पहने, बालों में सिंदूर लगाए और माथे पर बिंदी लगाए वह किसी ठेठ आज्ञाकारी बहु की तरह लगती है। लेकिन उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के चौबिया ठाकुर में जो दिख रहा है वही सबकुछ नहीं हैं। सिर्फ कुछ ही दूरी पर अमीषा की ननिहाल है, जहाँ रहने वाला उसका परिवार उसके अस्तित्व को स्वीकार नहीं करता है। तीन साल पहले 13 वर्ष की उम्र में अपृहत अमीषा अब एक शादीशुदा हिन्दू लड़की है, वह अब अपने परिवार की छोटी सी ज़ुबैदा खातून नहीं रही है।

“उन्होंने भरी पंचायत में घोषणा की थी वे उसे हिन्दू बना देंगे। अब वह एक हिन्दू के रूप में रह रही है। इस सच को हम कैसे स्वीकार कर सकते हैं?” उसके चाचा अब्दुल्लाह ने पूछा। यह सच, जो गाँव में रहने वाले चुनिन्दा मुस्लिम परिवारों का है, इसे स्वीकार करना परिवार के लिए वाकई कठिन है। उन्होंने आरोप लगाया कि गाँव के दबंग ठाकुर परिवार ने उनकी छोटी सी बेटी का अपहरण करके उसका जबरन धर्म परिवर्तन करा दिया था।

2013 में जुबैदा के परिवार की ओर से दायर प्राथमिकी के अनुसार, रामेश्वर ठाकुर और उसके पुत्र अरविंद और नागिन ठाकुर पर लड़की का अपहरण कर जबरन शादी करने का आरोप लगाया गया था। परिवार के अनुसार, जुबैदा के अपहरण की साजिश रामेश्वर सिंह के दोस्तों ने रची थी जो भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ द्वारा गठित दक्षिणपंथी हिंदू समूह और हिन्दू युवा वाहिनी के सदस्य हैं।

अपहरण के कुछ महीने बाद, ज़ुबैदा एक मजिस्ट्रेट के सामने पेश हुयी और अपनी इच्छा से अरविन्द से शादी करने की बात स्वीकार की। उसके परिवार ने उसके नाबालिग होने और अरविन्द द्वारा बहला फुसला कर शादी करने की बात का हवाला देते हुए विरोध दर्ज किया। “हमने बहुत कोशिश की, पुलिस में शिकायतें दर्ज की, मामले को कोर्ट में ले गए, लेकिन उन्होंने उसके बालिग होने के जाली दस्तावेज बनवाये और यह साबित कर दिया कि उसकी शादी एक हिन्दू से हो चुकी है,” अब्दुल्लाह ने कहा। “उससे भी ज़्यादा दुखदाई वे पल थे जब ठाकुरों ने अपनी दबंगई दिखाते हुए एक मुस्लिम लड़की के धर्म परिवर्तन पर गाँव में ढोल के साथ जुलूस निकाल कर जश्न मनाया। ऐसा उन्होंने हमें गाँव में शर्मिंदा करने के लिए किया,” अब्दुल्लाह ने आगे कहा। हालाँकि जुबैदा उर्फ़ अमीषा इस बात का दावा करती है कि उसकी उम्र 21 वर्ष है और उसने अपनी मर्ज़ी से शादी की है। “मेरा परिवार मुझसे नाराज़ है क्योंकि मैंने एक हिन्दू से शादी की है,” उसने कहा। वह कहती है कि उसका अपहरण एक ग़लतफहमी थी। “हर जोड़े की कुछ परेशानियाँ होती है, कुछ हमारी भी थी। मैं एक हिन्दू के रूप में सबकुछ करती हूँ, मैं भगवान से प्रार्थना करती हूँ, व्रत रखती हूँ और जैसा मेरे ससुराल वाले चाहते हैं वैसे रहती हूँ,” अपनी गौद में तीन वर्षीय बेटे को खिलाते हुए उसने बताया।

सांप्रदायिक द्वेष

असली कहानी अब्दुल्लाह और जुबैदा के दावों के बीच कहीं है। लेकिन सच्चाई जो भी हो, ऐसा लगता है जैसे कुशीनगर आदित्यनाथ समेत भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए लेबल लव जिहाद के उलट “रिवर्स लव जिहाद” का ग्राउंड जीरो बन चुका है। मुस्लिम लड़कों के हिन्दू लड़कियों के साथ शादी करने के मामलों को लव जिहाद के रूप में मुद्दा बनाकर कर भाजपा नेताओं ने 2014 के लोकसभा चुनाव में इसे देश की सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में खूब प्रचारित किया था। हिन्दू युवा वाहिनी की वेबसाइट पर विचारधारा सेक्शन में एक लेख है जो इस सम्बन्ध में लिखा हुआ है। इस लेख का शीर्षक है ‘इस्लाम की यात्रा – जिहाद से लव जिहाद तक’।

तादाद

2014 से अक्टूबर 2016 के बीच, जिला पुलिस में कम उम्र लड़कियों के लापता या अगवा होने के 389 मामले दर्ज हैं। पुलिस अधीक्षक भरत कुमार यादव का कहना है, “कोई भी माता-पिता अपनी बेटियों की शादी उनकी मर्ज़ी से नहीं करना चाहते। कभी-कभी ये लड़कियां कम उम्र होती हैं तो कभी उनकी उम्र का कोई दस्तावेज नहीं होता, ऐसे मामलों में हम जिला मजिस्ट्रेट के सामने उनके बयान दर्ज कराते हैं। उनमें से कुछ अपनी मर्ज़ी से दूसरे समुदाय के लड़के से शादी की इच्छा ज़ाहिर करती हैं।”

आल इंडिया मजलिस-ए-मशवरात ने कुशीनगर जिले में नाबालिग लड़कियों के बलात्कार और धर्म परिवर्तन के लिए अपहरण के लगभग दो दर्जन मामलों पर एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट बनाई थी। जनवरी 2016 में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को प्रस्तुत यह रिपोर्ट लड़कियों के खिलाफ अत्याचारों के लिए हिन्दू युवा वाहिनी के ‘स्थानीय गुंडों’ को दोषी मानती है।

आल इंडिया मजलिस-ए-मशवरात के अध्यक्ष मुहम्मद सुलेमान के मुताबिक, इन सभी घटनाओं के पीछे हिन्दू युवा वाहिनी के सदस्यों या उससे जुड़े हुए लोगों का हाथ है, इलाके में हिन्दू युवा वाहिनी का मजबूत प्रभाव और मुसलमानों का पिछड़ापन भी इस तरह की घटनाओं की बढ़ती संख्या का एक कारण है। वे कहते हैं, “यहाँ के मुसलमान पिछड़े हुए हैं और सामाजिक-आर्थिक रूप से कमज़ोर हैं। कई परिवार जिनकी लड़कियों का अपहरण किया गया, उनमें कोई बड़ा पुरुष सदस्य था ही नहीं या उनके पिता एक प्रवासी मजदूर हैं, वे बेहद असहाय और कमज़ोर हैं।”

सामाजिक बहिष्कार

देश की मुस्लिम आबादी का लगभग एक चौथाई उत्तर प्रदेश में रहता है। राज्य के भीतर, अल्पसंख्यक समुदाय का 36 प्रतिशत पूर्व में केंद्रित है। हालाँकि, उत्तर प्रदेश में बिहार की सीमा से लगे कुशीनगर में जिले की कुल आबादी का 16 प्रतिशत ही मुसलमान हैं। सांप्रदायिक बिखराव के बावजूद, यहाँ की रीतियाँ और परम्पराएं कुछ ऐसी हैं कि यहाँ हिन्दू और मुसलमानों में फर्क कर पाना बेहद मुश्किल है। बहुत से मुसलमान भी हिन्दू नाम रखते हैं, महिलाएं भी बिंदी लगाती हैं और मशहूर छठ महोत्सव भी सभी साथ मनाते हैं। फिर भी, तुच्छ मुद्दे जैसे क्षेत्र सीमांकन, मुहर्रम जुलूस का आकार, छेड़ छाड़ और प्रेम सम्बन्ध किसी भी वक़्त सांप्रदायिक झगड़ों में बदल सकते हैं, यह दर्शाता है यहाँ हालात कितने संवेदनशील हैं। यहाँ पर मुस्लिम परिवार गाँव की सीमा पर रहते हैं और कई जगह उनके मोहल्लों को एक दीवार बना कर अलग भी किया गया है।

पुर्वी उत्तर प्रदेश में गरीबी की दर बहुत ज्यादा है और साक्षरता दर बहुत कम है। यहाँ पर लोग सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हुए हैं। ज्यादातर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है और गन्ने की खेती पर निर्भर करती हैं – जो कुशीनगर में इकलौती लाभदायक फसल है। पिछले कुछ सालों में आधे से ज्यादा चीनी मीलें बंद हो चुकी हैं। इसकी वजह से ज़्यादातर पुरुष बेहतर रोज़गार की तलाश में शहरी क्षेत्रों में चले गए हैं। सुलेमान ने पाया कि जिन लड़कियों को अगवा किया गया है वे ज़्यादातर ऐसे ही परिवारों से हैं। पडरौना से स्थानीय पत्रकार, मुहम्मद अनवार सिद्दीकी, जो रिवर्स लव जिहाद पर बड़े पैमाने पर रिपोर्टिंग करते हैं, उनका कहना है कि इन में से कई लड़कियां अभी भी लापता हैं, कुछ कलंक और बहिष्कार के डर से सामने नहीं आती हैं। ”परिवारों के लिए ऐसी स्तिथि में लड़कियों, जिनकी अभी शादी होनी है, उनका रखना बेहद मुश्किल महसूस होता हैं। इनमें से सिर्फ कुछ लोग ही अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं, बाकि उत्पीड़न करने वालों के डर से शिकायत भी दर्ज नहीं कराते क्योंकि ज़्यादातर उत्पीड़नकर्ता गाँव के ही दबंग और पीड़िता के पडोसी होते हैं,” उन्होंने बताया।

एक बंटे हुए गाँव की कहानी

अक्टूबर 2016 में, वकील सत्येन्द्र राय को उनके मुवक्किल भुलिया उर्फ़ हबीब से उनकी बेटी का केस जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड से वापस लेने की अपील प्राप्त हुयी। “उसने कहा कि वह अपनी बेटी की शादी करना चाहता है और अगर मामला चलता रहा तो उसकी बेटी से कोई शादी नहीं करेगा।” मार्च 2014 में, गाँव श्रीराम में नूरी को उसके घर से हिन्दू समुदाय के चार लोगों ने अपहरण कर उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया था। वह दस दिन बाद घर वापस आ गयी थी। नूरी ने मजिस्ट्रेट के सामने बयान दिया और एक किशोर सहित चार लोगों की पहचान की। उसने बताया कि उसके पिता के द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने के बाद आरोपियों के परिवार ने उसके परिवार का उत्पीड़न शुरू कर दिया। उसके पिता को मजबूरन केस वापस लेना पड़ा और आज भी आरोपी गाँव में खुले घूमते हैं।

“लेकिन केवल किशोर को कैद हुयी थी बाकि सबको पुलिस ने आरोप मुक्त कर दिया था,” वकील सत्येन्द्र राय ने बताया। ग्रामीणों का आरोप है कि यह सभी आरोपी हिन्दू युवा वाहिनी के सदस्य हैं। हिन्दू युवा वाहिनी के सदस्य मुन्ना शाही के इशारे पर, गाँव के मुस्लिम टोले को एक 500 मीटर लम्बी दीवार बना कर मुख्य गाँव से अलग कर दिया गया है। “पूरा गाँव जानता है कि मुन्ना हिन्दू युवा वाहिनी का सदस्य है। इन्हीं लोगों ने सब जगह आतंक फैलाया हुआ है।” गाँव के एक निवासी ने कहा।

इसी गाँव में, बीए तृतीय वर्ष की छात्रा समीना खातून हर रोज़ डर में जीती है। यह तब शुरू हुआ जब उसके पडोसी संतोष ने उसे धमकाने और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने की कोशिश की। “वह हमको भगाने के लिए ले जाने आया था, और क्या”, वह कहती है। उसे उसकी चीखों ने बचाया जिसे सुनकर उसके रिश्तेदार आ गए। “वह हिन्दू युवा वाहिनी से सम्बंधित है, वही तो सब दंगा करते हैं,” उसने कहा। समीना की दर्ज कराइ प्राथमिकी में संतोष नामज़द है लेकिन उसमें आरोप का उल्लेख नहीं है।

कुशीनगर में लापता मुस्लिम लड़कियों की संख्या

2014 में 116 मामलें दर्ज हुए

2015 में 137 मामलें दर्ज हुए

अक्टूबर, 2016 तक 136 मामलें दर्ज हुए

यह संख्या पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक है। असल संख्या इससे ज्यादा हो सकती है।

लव जिहाद

लव जिहाद, एक बेहद विवादस्पद शब्द है। इसका इस्तेमाल मुस्लिम लड़के और हिन्दू लड़की के बीच प्रेम सम्बन्ध या वैवाहिक संबंधो के लिए भाजपा द्वारा शुरू किया गया था। 2009 में भाजपा ने ऐसे संबंधों को धर्म परिवर्तन के इरादे से बनाए गए संबंधों के रूप में प्रचारित करना शुरू किया। लोकसभा चुनावों के दौरान राजनीतिक लाभ के लिए आरएसएस और भाजपा जैसे अन्य दक्षिणपंथी संगठनों ने अंतर धार्मिक वैवाहिक और प्रेम संबंधों के लिए इस शब्द का खूब इस्तेमाल किया था। इन संगठनों का कहना था कि मुस्लिम लड़के बहला फुसला कर ऐसे सम्बन्ध बना कर हिन्दू लड़कियों का धर्म परिवर्तन करा देते हैं।

कुशीनगर – एक सांप्रदायिक हांडी

पर्यटन के क्षेत्र में भगवान बुद्ध के महापरीनिर्वाण स्थल के रूप में मशहूर कुशीनगर में हिन्दू युवा वाहिनी का प्रभाव बेहद गहरा है। गोरखपुर के सामाजिक कार्यकर्त्ता परवेज़ परवाज़ का कहना है कि कुशीनगर हिन्दू साम्प्रदायिकता की एक प्रयोगशाला है। “यहाँ पर मुस्लिम समुदाय सामाजिक और आर्थिक रूप से कमज़ोर है तथा हिन्दू युवा वाहिनी के पास यहाँ बहुत आजादी है क्योंकि उसे योगी आदित्यनाथ का समर्थन हासिल है। ये जहाँ भी जाते हैं वहां साम्प्रदायिकता और नफरत फैलाते हैं,” उन्होंने कहा।

2008 में, परवेज़ के इलाहबाद हाईकोर्ट जाने के बाद, पुलिस ने योगी आदित्यनाथ समेत पांच भाजपा नेताओं पर दंगा भड़काने के आरोप के साथ मुकदमा दर्ज किया था। 2007 के दंगे दो सप्ताह तक चले थे और उनमें 10 मुसलमानों की मौत हुयी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हालाँकि आरोपियों के खिलाफ मुकदमें को रोक दिया था और प्रदेश सरकार को अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। “इस मामले के बाद हिन्दू युवा वाहिनी के आतंक पर कुछ अंकुश लगा था। 2007 से पहले, आदित्यनाथ सभाओं में खूब भड़काऊ भाषण देता था और हिन्दू युवाओं को मुसलमानों के खिलाफ भड़काता था,” परवेज़ ने कहा।

अब, 11 फरवरी से शुरू हो रहे पांच राज्यों के चुनावों से पहले यहाँ के मुसलमान दंगों के भड़कने की आशंका से भयभीत हैं। मुज़फ्फरनगर दंगे, जो एक छेड़खानी की घटना से शुरू हुए थे, उनके भयावह रूप की यादें अभी ताज़ा हैं और वे हमें बताते हैं की दंगे कितनी आसानी से भड़क सकते हैं।

कुशीनगर अभी नवरात्री और मुहर्रम के बाद बटरौली गाँव में हुए सांप्रदायिक दंगों से जूझ रहा है। उस दंगें में 50 से ज्यादा मुस्लिम परिवारों ने गाँव छोड़ दिया था, उनके घरों को बंद कर दिया गया था और उनकी दुकानों, कोलुहों को नष्ट कर दिया गया था। यह दंगा एक बेहद बेहुदे झगड़े पर शुरू हुयी थी, जब गाँव का सरपंच हाथी पर सवार होकर स्थानीय मस्जिद के पास की संकरी गलियों से गुज़रना चाहता था। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस पर ऐतराज़ जताया था। इसके बाद कुछ ही पल में सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो गयी और उन्होंने मुसलमानों के घरों को आग लगा दी थी। स्थानीय निवासियों का कहना था कि इस भीड़ में ज़्यादातर गाँव से बाहर के लोग थे जो हिन्दू युवा वाहिनी से जुड़े हुए हैं। घटना की नाजुकता को समझते हुए, पुलिस ने हिन्दू युवा वाहिनी के नेताओं को बटरौली गाँव में घुसने से रोक दिया था।

प्रशासन का कहना है कि वह किसी भी तरह की हिंसक घटना को रोकने के लिए पूरी तरह से मुस्तैद है। साथ ही प्रशासन का कहना है कि वह हमेशा तटस्थ रुख अपनाता है और शिकायत के आधार पर हिन्दू और मुसलमान दौनों के खिलाफ शिकायत दर्ज करता है। दूसरी तरफ, हिन्दू युवा वाहिनी के नेता, राजेश्वर सिंह, जो चुनावी टिकट मिलने की आशा कर रहा है, उसने मांग रखी है कि प्रशासन हिन्दू पुरुषों को रिहा करे और उन्हें आरोप मुक्त करे। “यह दंगा मुसलमानों ने शुरू किया था। वे अपने घरों को जला कर भाग गए थे। इस केस में किसी भी हिन्दू की गिरफ़्तारी नहीं होनी चाहिए,” राजेश्वर ने कहा।

कुशीनगर के पुलिस और प्रशासन के ऊपर यह भी आरोप लगता है कि वे हिन्दू युवा वाहिनी के प्रभाव में काम करते हैं। हालाँकि जिला मजिस्ट्रेट शम्भू कुमार इस दावे से इनकार करते हैं और कहते हैं, “वे अपने आपको ताकतवर दिखाने के लिए ऐसे दावे करते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है हमने हालात पर काबू बनाया हुआ है।”

 

यह लेख dnaindia.com पर प्रकाशित हुआ है। इसका हिंदी अनुवाद सियासत के लिए मुहम्मद ज़ाकिर रियाज़ ने किया है।