उर्दू ज़बान हिंदुस्तान का अटूट् हिस्सा , अज़मते रफ़्ता की बहाली पर ज़ोर

हैदराबाद।31 दिसंबर (सियासत न्यूज़) उर्दू ज़बान हिंदुस्तान का अटूट् हिस्सा है। इब्तिदा-ए-ही से हिंदूस्तान में उर्दू का बोल बाला रहा है। ज़रूरत इस बात की है कि मौजूदा दौर में उर्दू की तहज़ीब और इफ़ादीयत की बाज़याफ़्त की जाये। मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनीवर्सिटी इस सिलसिले में अहम रोल अदा कर सकती है। उर्दू की चाशनी से हर मज़हब-ओ-तबक़े के लोगों ने फ़ायदा उठाया है। इन ख़्यालात का इज़हार डाक्टर एम एम पल्लम राजू, मर्कज़ी वज़ीर बराए फ़रोग़ इंसानी वसाइल, हकूमत-ए-हिन्द ने आज मौलाना आज़ाद नैशनल उर्दू यूनीवर्सिटी में हारून ख़ान शेरवानी मर्कज़ बराए मुताला त-ए-दक्कन का संग-ए-बुनियाद रखने के बाद अपनी तक़रीर में किया।

बादअज़ां वाइस चांसलर प्रोफ़ैसर मुहम्मद मियां के चैंबर में शहर की मुख़्तलिफ़ यूनिवर्सिटिटियोंन्के सरबराहों से ग़ैर रस्मी तबादला-ए-ख़्याल के दौरान डाक्टर पल्लम राजू ने इस बात पर ज़ोर दिया कि यूनीवर्सिटी और कॉलिजस के कैंपस ख़वातीन और लड़कीयों के लिए ज़्यादा महफ़ूज़ बनाए जाएं। उन्होंने हैदराबाद की जमिआत को एक फ़ोरम क़ायम करते हुए एक दूसरे और सनअत के साथ बाक़ायदगी के साथ तबादला-ए-ख़्याल का मश्वरा भी दिया।

संग-ए-बुनियाद के बाद अपने एज़ाज़ में मुनाक़िदा तक़रीब से ख़िताब करते हुए उन्होंने यूनीवर्सिटी की तरक़्क़ी और फ़रोग़ की सताइश की और कहा कि निहायत ही क़लील मुद्दत में यूनीवर्सिटी ने हिंदूस्तान भर में अपना दायरेकार(काम) फैला दिया है। उन्होंने कहा कि दायरेकार की वुसअत और रसाई के साथ मेयार की बरक़रारी मुसावी एहमीयत रखती है। बारहवीं पनजसाला मंसूबे में तालीमी मेयार पर तवज्जा मर्कूज़ की गई है। उन्होंने तालीमी निज़ाम क़ौमी उमंगों से हम आहंग करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए मशमूलाती तर्ज़ की एहमीयत उजागर की। सच्चर कमेटी रिपोर्ट का हवाला देते हुए मर्कज़ी वज़ीर ने कहा कि मुस्लमानों की शरह ख़वांदगी क़ौमी शरह ख़वांदगी से काफ़ी कम है। इस जानिब तवज्जा दरकार है।

अक़ल्लीयतों के लिए हुकूमत मॉडल स्कूल क़ायम कर रही है। उन्होंने उर्दू यूनीवर्सिटी को मश्वरा दिया कि वो ज़ूलिसानी स्कूली असातिज़ा की तैय्यारी पर तवज्जा दे। उन्होंने उर्दू यूनीवर्सिटी में फ़ारसी अरबी के साथ साथ तेलुगु का शोबा क़ायम करने का भी मश्वरा दिया। जनाब पल्लम राजू ने इख़तिरा और तहक़ीक़ की इफ़ादीयत पर रोशनी डालते हुए कहा कि अगर हिंदुस्तान को सोपर पावर बनना है तो उन शोबों में सरमाया लगाना होगा। पाली टेक्नीक और आई टी आई को मुस्तहकम बनाने की ज़रूरत है। मर्कज़ी वज़ीर ने तालीम बिलख़सूस फासलाती तालीम को तिजारत बनाने और निज़ाम-ए-तालीम की दीगर ख़ामीयों की हौसलाशिकनी का मश्वरा भी दिया।

डाक्टर पल्लम राजू ने कहा कि एज़ाज़ी डायरैक्टर मर्कज़ बराए मुताला त-ए-दक्कन डाक्टर सलमा अहमद फ़ारूक़ी से उम्मीद है कि मर्कज़ के लिए उम्दा ख़िदमात अंजाम देंगी ताकि ये एक ऐसा मर्कज़ ब‌न कर उभरे जिस पर हमें फ़ख़र होगा। मर्कज़ दक्कन के गिरांक़द्र विरसा के साथ इंसाफ़ करे। प्रोफेसर वेद प्रकाश सदर नशीन यूनीवर्सिटी ग्रान्ट्स कमीशन ने अपने ख़िताब में कहा कि हमारे मुस्तक़बिल का इन्हिसार हमारी तहक़ीक़-ओ-इख़तिरा पर है। इस तरह तालीम और ख़ुसूसी तौर पर आला तालीम को अहमीयत हासिल हो जाती है। मुलक की तरक़्क़ी केलिए तमाम तबक़ात की शमूलीयत भी काफ़ी मानी रखती है। उन्हों ने उर्दू यूनीवर्सिटी को तालीम-ओ-तरक़्क़ी के लिए हर मुम्किन मदद फ़राहम करने का तयक़ुन दिया और क़ुव्वत तख़लीक़ को तरक़्क़ी के लिए ज़रूरी क़रार दिया।

उन्होंने कहा कि हमारी कामयाबी में लातादाद अफ़राद का हिस्सा है। हमें अपने रहनुमाओं जैसे स्वामी विवेकानन्द‌ गांधी जी और मौलाना आज़ाद के नज़रियात को अपनाने की ज़रूरत है। प्रोफेसर मुहम्मद मियां वाइस चांसलर ने मर्कज़ी वज़ीर के मश्वरे की रोशनी में तेलुगु के शोबे के क़ियाम का ऐलान किया। उन्होंने पावर प्वाईंट के ज़रिये यूनीवर्सिटी का तआरुफ़ भी करवाया। प्रोफेसर एस एम रहमत उल्लाह रजिस्ट्रार इंचार्ज ने ख़ैर मुक़द्दम और मेहमानों का तआरुफ़ पेश किया। प्रोफेसर मुहम्मद ज़फ़रुद्दीन ने कार्रवाई चलाई और शुक्रिया अदा किया। प्रोफेसर अब्दुल मुईज़‌ सदर शोबा-ए-अरबी की तिलावत से इजलास का आग़ाज़ हुआ। इस मौक़ा पर प्रोफेसर फ़ैज़ान मुस्तफ़ा प्रोफेसर पी प्रकाश प्रो. सुनयना सिंह प्रो. जनाब जगदीश मित्तल, मुहतरमा अनुराधा नाविक जनाब ख़लीक़ुर्रहमान और शहर की दीगर मुमताज़ शख्सियतें मौजूद थीं।