उल्फा की धमकी, असम में नागरिकता विधेयक लागू हुआ तो युवा उठा लेंगे हथियार

उल्फा के वार्ता समर्थक गुट ने नागरिकता विधेयक पर असम के मूल निवासियों की ‘‘भावनाओं से खिलवाड़’’ करने के प्रति केंद्र और असम सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि इसे पारित करने की कोई भी कोशिश राज्य के युवाओं को सशस्त्र क्रांति में शामिल होने के लिए मजबूर कर देगी। असम के तिनसुकिया जिले में बांग्ला भाषी पांच लोगों की हत्या की हालिया घटना के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने को लेकर गुट के शीर्ष नेता ने सर्वानंद सोनोवाल नीत राज्य सरकार की आलोचना की। साथ ही आरोप लगाया कि गुट की नकारात्मक छवि ‘‘चित्रित’’ करने के लिये ऐसा किया गया।

यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के वार्ता समर्थक गुट ने दावा किया कि तिनसुकिया हत्याकांड के बाद उसके वरिष्ठ नेताओं (जितेन दत्ता और मृणाल हजारिका) की ‘‘बगैर किसी सबूत’’ के गिरफ्तारी समाज में और अधिक विभाजन तथा अशांति पैदा करेगी। उल्फा नेताओं ने कहा कि एनआरसी विधेयक को लेकर असम के मूल निवासियों में डर की भावना आ गई है। उन्होंने कहा कि असम को त्रिपुरा नहीं बनने देना चाहिए, जहां ‘‘ हिंदू बंगालियों ने आदिवासियों से राज्य को हथिया लिया है।’’

बता दें कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 को लेकर राज्य में कई प्रदर्शन हुए हैं। यह विधेयक अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने के बाद छह साल तक भारत में बगैर किसी उचित दस्तावेज के भी निवास करने वाले अल्पसंख्यक हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है। वार्ता समर्थक गुट के ‘महासचिव’ अनूप चेतिया ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हम सरकार को पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि अगर विधेयक पारित होता है तो कई युवा सशस्त्र क्रांति में शामिल हो जाएंगे।’’

चेतिया ने कहा, ‘‘असमी लोगों को इस बात का डर है कि विधेयक से उनकी विरासत मिट जायेगी।’’ 18 साल जेल में बिताने के बाद 2015 में बांग्लादेश से उनकी स्वदेश वापसी हुई थी। असम के वित्त मंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कहा, ‘‘केन्द्र सरकार ने यह विधेयक संसद में पेश किया है और अब मामला संयुक्त संसदीय समिति के पास है।’’ भाजपा प्रदेश इकाई अध्यक्ष रंजीत दास के अनुसार विधेयक को लेकर असम के लोगों में डर की गलत भावना है।