एशियन गेम्स 2018: इन खिलाड़ियों ने दिलाई देश को पदक!

भारत ने 18वें एशियाई खेलों में प्रतियोगिताओं के अंतिम दिन शनिवार को मुक्केबाज अमित पंघल और ब्रिज पेयर के स्वर्ण, महिला स्क्वैश टीम के रजत पदक तथा पुरूष हॉकी टीम के कांस्य पदक के साथ एशियाई खेलों के 67 वर्षों के इतिहास में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर डाला।

भारत ने 1951 में नयी दिल्ली में अपनी मेजबानी में हुये पहले एशियाई खेलों में 15 स्वर्ण, 16 रजत और 20 कांस्य सहित 51 पदक जीते थे, जो इन खेलों से पहले तक उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।

भारत ने जकार्ता-पालेमबंग में हुये 18वें एशियाई खेलों में 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य सहित कुल 69 पदक जीतकर 67 साल पहले के नयी दिल्ली के प्रदर्शन को पीछे छोड़ दिया।

भारत ने हालांकि अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया लेकिन वह पदक तालिका में आठवें स्थान पर ही रह गया। भारत के पास आठ साल पहले ग्वांग्झू एशियाई खेलों में 1951 को पीछे छोडऩे का मौका आया था जब उसने 14 स्वर्ण, 17 रजत और 34 कांस्य सहित कुल 65 पदक जीते थे। कुल पदकों के लिहाज से ये 65 पदक भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन थे लेकिन इस बार भारत उससे कहीं आगे निकल चुका है।

इन खेलों में भारत ने 572 सदस्यीय दल उतारा था और कई खेलों में भारत ने ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। भारत को इन एथलीटों ने मंजीत सिंह(800 मी.), जिनसन जॉनसन(1500 मी.), तेजिंदर पाल सिंह तूर(गोला फेंक), नीरज चोपड़ा(भाला फेंक), अरपिंदर सिंह(तिहरी कूद), हिमा दास, एम आर पूवम्मा, सरिता बेन गायकवाड़, विस्मय वेलूवा(4 गुना 400 मी. महिला रिले टीम) और स्वप्ना बर्मन (हेम्टाथलन) ने स्वर्ण दिलाये। कुश्ती में बजरंग पूनिया(65 किग्रा) और विनेश फोगाट(50 किग्रा) ने स्वर्ण जीते। निशानेबाजी में राही सरनोबत (25 मीटर पिस्टल) और सौरभ चौधरी(10 मीटर एयर पिस्टल), ब्रिज पेयर में प्रणव बर्धन और शिबनाथ सरकार, रोइंग में स्वर्ण सिंह, दत्तू भोकनाल, ओमप्रकाश और सुखमीत सिंह की पुरूष चौकड़ी ने क्वाड्रपल स्कल्स, टेनिस में रोहन बोपन्ना और दिविज शरण की जोड़ी ने पुरूष युगल तथा मुक्केबाजी में अमित पंघल ने 49 किग्रा में स्वर्ण जीते।

18वें एशियाड में भारत की कामयाबी को एथलेटिक्स दल की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही जिसने शानदार प्रदर्शन करते हुये सात स्वर्ण, 10 रजत और दो कांस्य सहित कुल 19 पदक जीते। निशानेबाजों ने दो स्वर्ण, चार रजत और तीन कांस्य सहित नौ पदक हासिल किये। कुश्ती में भारत को दो स्वर्ण सहित तीन पदक मिले जबकि पहली बार इन खेलों में शामिल किये गये ब्रिज में भारत को एक स्वर्ण और दो कांस्य सहित तीन पदक मिले। रोइंग और टेनिस में भी एक स्वर्ण और दो कांस्य सहित तीन पदकों की स्थिति रही।

मुक्केबाजी में अंतिम दिन के स्वर्ण के साथ भारत को दो पदक हासिल हुये। तीरंदाजी और घुड़सवारी में दो दो रजत रहे जबकि स्क्वैश में एक रजत और चार कांस्य सहित कुल पांच पदक मिले। सेलिंग में भारत को एक रजत और दो कांस्य के साथ तीन पदक मिले। बैडमिंटन में भारत ने 36 साल के लंबे अंतराल के बाद व्यक्तिगत पदक हासिल किया। बैडमिंटन में भारत को एक रजत और एक कांस्य मिला। बैडमिंटन का रजत ओलंपिक रजत विजेता पीवी सिंधु ने दिलाया।

एशियाई खेलों में कबड्डी में कुल नौ स्वर्ण पदक जीतने वाले भारत ने पहली बार अपने खिताब गंवाये। पुरूष टीम को कांस्य और महिला टीम को रजत से संतोष करना पड़ा। कबड्डी की तरह पुरूष हॉकी टीम ने भी अपना खिताब गंवाया और उसे अंतत: कांस्य से संतोष करना पड़ा जबकि महिला हॉकी टीम ने 20 साल बाद फाइनल में जगह बनाई और रजत जीता।

पहली बार शामिल कुराश में एक रजत और एक कांस्य पदक मिला। वुशू में जहां पिछले तीन खेलों में भारत को पांच पदक मिले थे वहीं इस बार चार कांस्य हाथ लगे।

टेबल टेनिस में इससे पहले तक भारत का हाथ हमेशा खाली रहता था लेकिन इस बार पुरूष टीम और मिश्रित टीम ने दो कांस्य पदक दिलाये। इन दो कांस्य पदकों में अचंत शरत कमल की प्रमुख भूमिका रही जिन्होंने टीम कांस्य के बाद मिश्रित युगल में मणिका बत्रा के साथ पदक जीता। सेपकटकरा में भी भारत को पहला ऐतिहासिक कांस्य मिला।