‘एसीपी का खातून को थप्पड़ मारना माफी के लायक नहीं’

नई दिल्ली, 01 मई: बिगड़ते कानूनी निज़ाम को लेकर तनाज़े से घिरे दिल्ली पुलिस कमिशनर नीरज कुमार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि गैंगरेप के खिलाफ एहतिजाज के दौरान एसीपी का एक खातून को थप्पड़ मारना माफी के लायक नहीं है।

मंगल के दिन सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे में पुलिस कमिशनर ने कहा कि एसीपी बनी सिंह अहलावत ने पुलिस निज़ाम के बुनियादी उसूलों को ताक पर रखकर शर्मनाक हरकत की।

पांच साल की बच्ची के गैंगरेप के खिलाफ एहतिजाज करने वाली खातून को सरेआम थप्पड़ मारने को किसी भी हाल में जायज नहीं ठहराया जा सकता।

कानून निज़ाम को न संभाल पाने के इल्ज़ामों के बीच पुलिस कमिशनर नीरज कुमार को वज़ारत ए दाखिला ने ओहदा से हटाने के इशारे दिए हैं। पीर के दिन डीसीपी सतह के कई अफसरों को भी ट्रांसफर कर दिया गया।

वज़ीर ए आला शीला दीक्षित भी यह साफ कर चुकी हैं कि पुलिस कमिशनर को हटाने के मसले पर वह वज़ीर ए दाखिला सुशील कुमार शिंदे से बात कर चुकी हैं।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट से पुलिस कमिशनर ने कहा है कि एसीपी को जोश मे आने की जरूरत नहीं थी। पुलिस की ट्रेनिंग में एहतिजाज वगैरह से निपटने के लिए एहतियात बरतना सबसे जरूरी होता है। हर पुलिस मुलाज़मीन को इस तरह की तरबियत दिया जाता है।

पुलिस कमिशनर ने हलफनामे में 16 दिसंबर को चलती बस में गैंगरेप के बाद मुल्क की दारुल हुकूमत में भड़के आवामी गम व गुस्से का सीधे तौर पर हवाला तो नहीं दिया लेकिन साफ तौर पर कहा कि न्यूज चैनलों की ओर से लाइव कवरेज से यह वाजेह है कि पुलिस ने इस तरह के एहतिजाज के दौरान बेहद एहतियात से काम लिया।

याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने मुल्क के कई हिस्सों में पुलिस की बेहरमी की मुसलसल कई वाकियात पर खुद नोटिस लेकर सुनवाई शुरू की है। इसी के तहत एहतिजाज करने वाली खातून को थप्पड़ मारने के मामले में अदालत ने पुलिस कमिशनर से जवाब तलब किया।

पुलिस कमिशनर ने कहा कि एसीपी बनी सिंह अहलावत को 19 अप्रैल की वाकिया के बाद मुअत्तल कर दिया गया है। स्वामी दयानंद अस्पताल में हुई इस वाकिया को संजीदगी से लिया गया है।

गौरतलब है कि पंजाब के तरनतारन में खातून को घसीट कर पीटने और पटना में एहतिजाजियों ( Contract teachers) पर लाठीचार्ज पर शुरू हुई सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली और अलीगढ़ में ख़्वातीन के साथ हुई ज्यादती तक वसीअ कर दिया।

जस्टिस जीएस सिंघवी की सदारत वाली बेंच इस बात से हैरान है कि गुलाम हिंदुस्तान में अंग्रेजी पुलिस मुल्क के लोगों पर जुल्म करती थी लेकिन ख्वातीन के खिलाफ कार्रवाई करने से अंग्रेज पुलिस भी बचती थी। जबकि आजाद हिंदुस्तान की पुलिस ख्वातीन को भी अपनी तशद्दुद का शिकार बना रही है।
बशुक्रिया: अमर उजाला