ऑटो परमिट घोटाला: दिल्ली सरकार ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी।

नई दिल्ली: दिल्ली में हुए ऑटो परमिट घोटाले में  दिल्ली सरकार ने सीबीआइ जांच की रिकमेन्डेशन कर दी है। दिल्ली में नए ऑटो को परमिट देने में हेरा-फेरी की बात दो माह पहले सामने आई थी और यह आरोप लगा था कि ऑटो परमिट देने के लिए लेटर ऑफ इंटेंट में 20 से 25 हजार रुपये की रिश्वत ली जा रही है। परमिट नकली एड्रेस पर दिए गए हैं। लेटर ऑफ इंटेंट वह डॉक्यूमेंट है, जिसकी मदद से ऑटो चालकों को लोन मिलता है। दिल्ली के ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट में हुए धोखा-धडी की वजह से दिल्ली के ऑटो ड्राइवर्स को या तो दलालों और डीलरों से ब्लैक में लेटर ऑफ इंटेंट लेना पड़ रहा था या फिर दोगुना पैसे देकर लेटर ऑफ इंटेंट वाला ऑटो खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा था।
इस मामले में शामिल एमएलओ (मोटर लाइसेंसिंग ऑफिसर) को सस्पेंड कर दिया गया है। घोटाले की बात सामने आने के बाद ही ट्रांसपोर्ट कमिश्नर एस रॉय बिस्वास, इंस्पेक्टर मनीष पुरी और यूडीसी अनिल यादव को उसी वक़्त से सस्पेंड कर दिया गया था जिसके चलते इस पूरे मामले की जांच सीबीआइ से कराने की बात भी कही गई थी। एमएलओ रामनाथ की भूमिका को लेकर जांच की जा रही थी। दिल्ली सरकार ने इस मामले को जांच के लिए अब सीबीआइ सौंप दिया है।