कम ख़र्च की शादीयों पर अल्लाह की रहमतों का नुज़ूल इसराफ़ इस्लाम में ना पसंद ख़िताब

हैदराबाद 16 नवंबर: ज़ाहिद अली ख़ां एडीटर सियासत ने कहा कि सियासत-ओ-एम डी एफ़ की तरफ से होने वाले दु-ब-दु मुलाक़ात प्रोग्राम की गूंज सारे मुल्क में सुनाई दे रही है, चुनांचे कश्मीर का एक वफ़द हैदराबाद आया है, जिसने इस प्रोग्राम को देखकर ख़ुशी का इज़हार किया और इस बात की ख़ाहिश की के कश्मीर में भी इस नौईयत का प्रोग्राम किया जाना चाहीए।

उन्होंने कहा कि मुस्लिम शादीयों के मसले से तक़रीबन हर जगह के लोग परेशान हैं, ख़ास तौर पर लड़कीयों के वालिदैन ज़्यादा हैं। जोड़े की रक़म, जहेज़ के मुतालिबात और आला दर्जा के शादी ख़ानों में निकाह के एहतेमाम की फ़र्माइश माँ बाप के लिए अज़ाब जान बन गई है।

उन्होंने कहा कि मुसाबिक़त के फ़ैशन से मुतास्सिर हो कर कई मुतवस्सित और ग़रीब वालिदैन सूद से क़र्ज़ लेकर अपनी लड़कीयों की शादियां अंजाम दे रहे हैं, जबकि सूद से लिए हुए पैसे का खाना हमारे लिए हराम है। ज़ाहिद अली ख़ां इदारा सियासत-ओ-माइनॉरिटी डेवलपमेंट फ़ोरम और लालागुड़ा ओलड ब्वॉयज़ एसोसीएशन के ज़ेरे एहतेमाम भारत फंक्शन हाल (मौला अली) में मुनाक़िदा 49 वीं दु-बा-दु मुलाक़ात प्रोग्राम को मुख़ातिब कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि इस्लाम में इसराफ़ को नापसंद किया है। हुज़ूर अकरम (सल्लललाहु अलैहि वसल्लम) का इरशाद हैके कम से कम ख़र्च के ज़रीये होने वाली शादीयों पर अल्लाह-तआला की रहमतों का ज़हूर होता है। कई ख़ानदान मौजूदा हालात का शिकार हैं। एक एक लड़की की शादी पर औसतन पाँचता छः लाख रुपये ख़र्च हो रहे हैं, जो बाइस अफ़सोस है।

अगर किसी के घर में दो या तीन बेटियां हैं तो वालिदैन के लिए चौथी बेटी की शादी करना नामुमकिन हो रहा है। इसी जज़बे के तहत सियासत ने ये तहरीक शुरू की है, ताके क़ौम को तमाम बुराईयों से बचाया जा सके। ये काम सि यासी पार्टीयों और मज़हबी जमातों का है, लेकिन इस सुलगते मसला है।

उन्होंने कहा कि मुसलमानों में ग़ुर्बत बढ़ती जा रही है, लेकिन इस ग़ुर्बत के ख़ातमे की बजाये ग़ैर इस्लामी रस्म-ओ-रिवाज के ज़रीये हम अपने समाजी और मआशी मौक़िफ़ को कमज़ोर बनाते जा रहे हैं।

ज़ाहिद अली ख़ां ने कहा कि मुस्लिम नौजवानों को आला तालीम की तरफ़ रुजू होने की ज़रूरत है। ज़रई शोबों को, स्पेस टेक्नालोजी, डेरी डेवलपमेंट और कई एसे शोबे हैं, जिनमें मुस्लिम नौजवानों को राग़िब होना चाहीए। उन्होंने इस सिलसिले में ए पी जे अबद उल-कलाम का ज़िक्र किया, जिन्होंने मिज़ाईल टेक्नालोजी में दुनिया-भर में अपना नाम रोशन किया। उन्होंने इतनी ग़ुर्बत में ज़िंदगी गुज़ारी कि उनके पैर में चप्पल भी नसीब नहीं थी, लेकिन मक़सद की लगन ने उन्हें दुनिया का एक बड़ा आदमी बनादिया।

ज़ाहिद अली ख़ां ने लालागुड़ा ओलड ब्वॉयज़ एसोसीएशन की सरगर्मीयों की सताइश की और उनकी नुमाइंदगी पर इस बात का एलान किया के मौला अली में जूनियर और डिग्री कॉलेज के क़ियाम के लिए वो हुकूमत से नुमाइंदगी करेंगे। इब्तिदा में सय्यद ताजुद्दीन सदर एसोसीएशन ने कहा कि एसोसीएशन ने मिल्लत के इस अहम मसले को हल करने जंगी ख़ुतूत पर इक़दामात का अज़म किया है।