करवा चौथ व्रत कथा : जानिए पूजा का मुहूर्त, विधि और चंद्रोदय का समय

नई दिल्ली: Karva Chauth 2018 Vrat Katha: करवा चौथ का व्रत बिना कथा के पूरा नहीं होता. महिलाएं करवा चौथ के दिन शाम को एक साथ बैठ कथा का पाठ करती हैं और कुछ महिलाएं कथा पढ़ने के बाद पानी या चाय पी लेती है. वहीं, कुछ महिलाएं कथा पढ़ने के बाद चांद निकलने का इंतज़ार करती है. चांद निकलने के बाद वो छलनी लेकर चांद और अपने पति को देखकर व्रत खोलती हैं. कुछ पति अपनी पत्नी को तोहफे देते हैं तो कुछ उनके लिए सोशल मीडिया पर मैसेज लिख अपना प्यार जताते हैं.

इस बार 27 अक्टूबर को करवा चौथ (Saturday, 27 October, Karva Chauth 2018 in India) मनाया जा रहा है. कथा के साथ आप यहां जानिए करवा चौथ का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, सरगी और महत्‍व. वहीं, अगर आपने अभी तक मेहंदी नहीं लगाई है तो इन तस्वीरों और वीडियो को देखकर झटपट ये काम भी निपटा लें.
यहां पढ़ें करवा चौथ की कथा

मान्यताओं के मुताबिक एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी. करवा चौथ का दिन था. घर में साहूकार की पत्नी, बहुओं और बेटी ने करवा चौथ का व्रत रखा. त्योहार के दिन घर में पकवान बनें, सभी खाने के लिए बैठे. चांद अभी नहीं निकला था. इसीलिए घर के सिर्फ पुरुष खाना खाने के लिए बैठ गए. रात का समय था, साहूकार के बेटे खाने के लिए बैठ गए, उन्होंने अपनी बहन को भी खाने के लिए आमंत्रित किया. लेकिन बहन ने इस पर जवाब दिया कि “भाई! अभी चांद नहीं निकला है, उसके निकलने पर अर्घ्‍य देकर भोजन करूंगी.”

बहन की इस बात को सुन भाइयों ने बहन को खाना खिलाने के लिए घर से दूर नगर में जाकर आग जला दी और छलनी लाकर बहन को उसमें से प्रकाश दिखाकर कहा – “बहन! चांद निकल आया है. अर्घ्‍य देकर भोजन कर लो.”
यह बात सुनकर उसने अपनी भाभियों से कहा कि “आओ तुम भी चन्द्रमा को अर्घ्‍य दे लो.” लेकिन भाभियां जानती थीं कि यह छल है. उन्होंने कहा – “बाई जी! अभी चांद नहीं निकला है, तेरे भाई तेरे से धोखा करते हुए अग्नि का प्रकाश छलनी से दिखा रहे हैं.”

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भाभियों की बात का उसने यकीन ना करके अपने भाइयों की बात मानी और चांद समझ कर उस अग्नि के प्रकाश को ही अर्घ्‍य देकर भोजन कर लिया. इस तरह उसका व्रत टूट गया और भगवान गणेश अप्रसन्न हो गए. करवा चौथ के कुछ दिनों बाद उसका पति बहुत बीमार हो गया और घर का सब कुछ उसके इलाज में लग गया.

टिप्पणियां जब उसे अहसास हुआ कि ये सब करवा चौथ के व्रत टूटने से हुआ. तो पश्चाताप के लिए उसने भगवान गणेश की पूरे विधि-विधान पूजा की और चतुर्थी का व्रत करना शुरू कर दिया. भगवान गणेश इसकी भक्ति को देख प्रसन्न हुए और इसके पति को स्वस्थ्य जीवन दान दिया.

तभी से हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी को मनाया जाने लगा. वहीं, अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से ये त्‍योहार अक्‍टूबर के महीने में आता है और साल 2018 में करवा चौथ 27 अक्‍टूबर को है.