कलाकार भले ही मर जाए पर कला हमेशा जिंदा रहती है

मुंबई: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता ओम पुरी 6 जनवरी 2017 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. 300 से ज्यादा फिल्मों में अपनी अदाकारी का लोहा मनवाने वाले ओम पुरी हमेशा अपने फैंस के दिलों में जिंदा रहेंगे. ओम पुरी एक ऐसे अभिनेता थे, जिन्होंने अपनी दमदार आवाज के बल पर खुद को बतौर एक्टर, को-एक्टर और विलेन के तौर पर स्थापित किया था. एक थिएटर आर्टिस्ट होने के नाते उनके डायलॉग इतने दमदार होते थे कि उनकी पुरानी फिल्मों की छाप अब भी लोगों के दिलो-दिमाग पर बसी हुई है. कहानी कोई भी हो उसे अपनी तरह से नई ऊंचाईयों तक पहुंचाने का दम रखते थे ओम पुरी. लोग कहते हैं ना कि कलाकार भले ही ना रहे पर उसकी कला हमेशा जीवित रहती है. आइये हम आपको उनके कुछ बेहतरीन डायलॉग से रुबरु करवाते हैं.

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कब के बुझ गए होते- कोई तो है जो हवा के पर कतरता है…और जमीन की कोई वकालत नहीं चलती, जब कोई फैसला आसमान से उतरता है.

बाबुल- परंपराओं की लकीरें जब धुंधली पड़ जाती हैं…तो नई लकीरें खींचने से परहेज नहीं करना चाहिए.

ओह माय गॉड- मजहब इंसानों के लिए बनता है… मजहब के लिए इंसान नहीं बनते.

अग्निपथ- जिस दिन पुलिस की वर्दी का साथ पकड़ा….उस दिन डर का साथ छोड़ दिया.

चाइना गेट- जंग कोई भी हो, नतीजा कुछ भी हो…एक सिपाही अपना कुछ ना कुछ खो ही देता है.

घायल वंस अगेन- जब एक भ्रष्ट आदमी मरता है तो उसकी सत्ता खत्म होती है…और जब एक सच्चा आदमी मरता है तो उसकी सत्ता शुरू होती है.

चक्रव्यूह- मैं ऐसे लोकतंत्र में विश्वास नहीं करता…जो गरीबों की इज्जत करना नहीं जानता.

नरसिम्हा- मेरा फरमान आज भी इस शहर का कानून है… मैं जब भी करता हूं, इंसाफ ही करता हूं.

हार्टलेस- एक कतरा जब जरा सा उभरता है, तो समुंदर के लहजे में बात करता है…चाहतों के दिए.

आवारा पागल दीवाना- जैसे ही मैंने उसकी कनपटी पर यह गनपट्टी रखी…उसका चेहरा बिना दूध की चाय जैसा पड़ गया मरने से पहले मेरे बाल डाई करा देना, मैं जवान होकर मरना चाहता हूं

प्यार तो होना ही था- हर इंसान को जिंदगी में एक बार प्यार जरूर करना चाहिए…प्यार इंसान को बहुत अच्छा बना देता है.