क़ुरआने मजीद के आफ़ाक़ी पयाम को बंदगाने ख़ुदा तक पहूँचाने की कोशिश

हैदराबाद 17 जून: अल्लाह इदारा-ए-सियासत की ख़िदमात को क़बूल फ़रमाए। इदारे सियासत जमहूरी इक़दार को बरक़रार रखते हुए मिल्लत-ए-इस्लामीया की फ़लाह-ओ-बहबूद और रफ़ाही ख़िदमात में मसरूफ़ है। मुफ़्ती-ए-आज़म जामिआ निज़ामीया हज़रत अललामा मौलाना मुफ़्ती अज़ीमुद्दीन ने इदारे सियासत की तरफ से JILTके तआवुन से तैयार करदा हिंदुस्तानी इलाक़ाई ज़बानों में कुरआनी तर्जुमा पर मुश्तमिल वेब www.quranhub.net की इफ़्तेताही तक़रीब से ख़िताब के दौरान ये दुआ करते हुए कहा कि अल्लाह इदारे सियासत के बानी ज़िम्मेदारान और वाबस्तगान को इन ख़िदमात का बेहतर अज्र अता करे।इस वेबसाइट में 10 इलाक़ाई ज़बानों के तराजुम के अलावा 15 ख़ुशइलहान करा-ए-किराम की क़रा॔त और तफ़ासीर के मुताला की सहूलत मौजूद है।

ज़ाहिद अली ख़ान एडिटर सियासत की ज़ेर-ए-सदारत मुनाक़िदा इस नूरानी महफ़िल में बहैसीयत मेहमान-ए-खुसूसी नवाब शाह-आलम ख़ान मौलाना सय्यद शाह अली अकबर निज़ामुद्दीन हुसैनी साबरी सज्जादा नशीन बारगाह हज़रत शाह ख़ामोश डॉ मौलाना सय्यद मुहम्मद हमीदुद्दीन शरफ़ी डायरेक्टर आई हरक मुफ़्ती सादिक़ मुहीउद्दीन फ़हीम प्रोफेसर मुस्तफ़ा शरीफ़ प्रोफेसर डॉ मौलाना सय्यद जहांगीर ज़हीरुद्दीन अली ख़ान मैनेजिंग एडिटर सियासत आमिर अली ख़ान न्यूज़ एडिटर सियासत मौलाना मीर मुहम्मद अली मौजूद थे।

इस तक़रीब में डॉ शाहिद अली ख़ान डॉ सिराज उल रहमान नक़्शबंदी एम वेद कुमार बालादीर ग़दर अबदुल मतकबर अरशद डॉ फकरुद्दीन मुहम्मद डायरेक्टर मेस्को,जस्टिस ई इस्माईल के अलावा दुसरे अहम शख़्सियात मौजूद थीं।

मौलाना मुफ़्ती अज़ीमुद्दीन ने इस तक़रीब के दौरान हिन्दी तर्जुमा के पेज का इफ़्तेताह अंजाम दिया। ज़ाहिद अली ख़ान ने सदारती ख़िताब के दौरान एलान किया कि क़ुरआन की ख़िदमत को वो अपने इस्लाफ़ की मग़फ़िरत का बाइस तसव्वुर करते हुए इस सिलसिले को मज़ीद वुसअत देंगे और बैन-उल-अक़वामी ज़बानों खास्कर चीनी-ओ-रूसी ज़बानों में तर्जुमा ऑनलाइन पेश करने की कोशिश की जाएगी ख़ाह उस के लिए जितने अख़राजात बर्दाश्त करने पड़ें इस काम को मुकम्मिल किया जाएगा। उन्होंने बताया कि हिंदुस्तानी इलाक़ाई ज़बानों में क़ुरआन के तर्जुमा को ऑनलाइन पेश करने का मन्सूबा ज़हीरुद्दीन अली ख़ान ने पेश किया था। ज़ाहिद अली ख़ान ने बताया कि अख़बार सियासत की वेबसाइट का दुनिया-भर के 107 ममालिक और 3500शहरों में मुशाहिदा किया जाता है इन हालात में इस बात का अंदाज़ा लगाना दुशवार नहीं है कि असरी टेक्नालोजी से अवाम किस रफ़्तार के साथ हम-आहंग हो रहे हैं।

एडिटर सियासत ने बताया कि क़ुरआन का आफ़ाक़ी पैग़ाम सिर्फ मुसलमानों के लिए नहीं है बल्के किताब-उल-ल्लाह हर इन्सान के लिए सर चश्मा-ए-हिदायत है। ज़ाहिद अली ख़ान ने कहा कि मुल्क के दुसरे तबक़ात तक क़ुरआन के तर्जुमा को पहुंचाने के लिए इदारा-ए-सियासत ने ये बेड़ा उठाया है और अल्लाह से उम्मीद है कि सियासत के हर काम की तरह अल्लाह इस काम को भी मक़बूल फ़रमाएँगे।

नवाब शाह-आलम ख़ान ने इस मौके पर अपने ख़िताब के दौरान कहा कि मौजूदा दौर में मुसलमानों को मुश्तबा बनाते हुए दीन इस्लाम को निशाना बनाने की कोशिशें की जा रही हैं एसे हालात में इदारे सियासत का ये इक़दाम लायक़ सताइश है।

उन्होंने नुज़ूल क़ुरआन के महीने में क़ुरआन के इलाक़ाई ज़बानों पर मुश्तमिल तर्जुमों की वेबसाइट के इफ़्तेताह को काबुल मुबारकबाद क़रार देते हुए कहा कि अल्लाह के रसूल (सल्लललाहु अलैहि वसल्लम)की हदीस के मफ़हूम के मुताबिक़ तुम में बेहतरीन शख़्स वो है जो क़ुरआन सीखे और सिखाय नवाब शाह-आलम ख़ान ने कहा कि क़ुरआन के दस्तूर हयात से बेहतर कोई क़ानून नहीं है। इसी तरह क़ुरआन-ए-मजीद तसकीन क़लब का बेहतरीन ज़रीया है।

मौलाना सय्यद शाह अली अकबर निज़ामुद्दीन हुसैनी साबरी अमीर जामिआ जामिआ निज़ामीया ने इदारा-ए-सियासत की ख़िदमात को ख़िराज-ए-तहिसीन पेश करते हुए कहा कि सियासत की ख़िदमात अज़हर मन अश्शम्स हैं जिससे इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने इदारा-ए-सियासत की तरफ से तबा शूदा दुसरे तराजुमे का हवाला देते हुए कहा कि ये ख़िदमात अरसा-ए-दराज़ से जारी हैं। उन्होंने बताया कि क़ुरआन की ख़िदमत का बेहतरीन काम हैदराबाद से अंजाम दिया जाता रहा है और ये सियासत की बेहतरीन ख़िदमत-ओ-कोशिश है।

उन्होंने सरपकथाल के अंग्रेज़ी तर्जुमा का हवाला देते हुए कहा कि उनका ये तर्जुमा आज भी क़ुरआन के बेहतरीन-ओ-मोतबर अंग्रेज़ी तर्जुमों में शुमार किया जाता है इसी तरह फ़र्ज़ंद निज़ामीया डॉ हमीद उलाह जो कि फ़्रांस मुंतक़िल हो गए थे ने जो फ़्रांसीसी तर्जुमा किया है आज भी वही तर्जुमा मौजूद है। प्रोफेसर मुस्तफ़ा शरीफ़ ने इस मौके पर अपने ख़िताब में कहा कि करआनी तराजुम के साथ तफ़ासीर का मुताला भी ज़रूरी है उसी लिए ये ज़रूरी है कि क़ुरआन-ए-मजीद को समझ कर पढ़ने के लिए तफ़ासीर का मुताला भी किया जाये। उन्होंने इस वेबसाइट को वक़्त की अहम ज़रूरत क़रार देते हुए कहा कि ग़ैर मुस्लिम तेज़ी के साथ क़ुरआन की सिम्त राग़िब हो रहे हैं उन्हें उनकी अपनी ज़बान में क़ुरआन का तर्जुमा फ़ायदा पहुंचा सकते हैं।