कागज पर बनी मुकम्मल आबपसी मनसूबे

रांची 20 अप्रैल : रांची मुकम्मिल आबपसी डिविजन ने छह ब्लॉक में 5.48 करोड़ की आबपसी मंसूबों को कागज पर ही बना दी.गुमला मुकम्मिल आबपसी डिविजन ने अधूरी आबपसी मंसूबों को पूरा होने का गलत दावा किया।

झारखंड हिल एरिया लिफ्ट इरिगेशन कॉरपोरेशन (झालको) ने 1.36 करोड़ की लागत से चेक डैम बना कर पाई और पंप ही नहीं लगाया। एडिटर जनरल (पीएजी) ने आदिवासियों के तरक्की की मंसूबों की इस सूरते हाल का खुलासा किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक रांची मुकम्मिल आबपसी डिविजन को 5.48 करोड़ की लागत से बेड़ो, चान्हो, कांके, मांडर, ओरमांझी और सिल्ली में 154 आबपसी मंसूबों का काम दिया गया था। इस रक़म के माइक्रो लिफ्ट इरिगेशन की 32, वाटर हार्वेस्टिंग टैंक की आठ और मुख्तलिफ किस्म के कुओं की 114 मंसूबों को पूरा करना था।

मुकम्मिल आबपसी डिविजन के अफसर ऑडिट टीम को यह नहीं बता सके कि वाटर हार्वेस्टिंग टैंक व कुआं वगैरा किन आदिवासियों की जमीन पर और कहां-कहां बनी है। वे सिर्फ बेड़ो ब्लॉक में 20 मंसूबों की जगह बता पाये। पर, ताफ्शिस में वहां भी कोई कुआं या दीगर मनसूबे नहीं पायी गयी।

मुकम्मिल आबपसी डिविजन, गुमला ने 25.28 लाख की लागत से 11 माइक्रो लिफ्ट इरिगेशन मंसूबों को पूरा करने का दावा किया था। जांच में तमाम मनसूबे नामुकम्मिल पायी गयीं। जिला ज़मीन तहफ्फुज़ ओहदेदार को 2.60 करोड़ की लागत से वाटर हार्वेस्टिंग टैंक और आबपसी की कुल 143 मंसूबों का काम दिया गया था।

जिला ज़मीन एहतियाती अफसर ने 79 मनसूबे मुकम्मल की और 64 मनसूबे अधूरी छोड़ दीं। ताहम उन्होंने पूरी रक़म खर्च कर दी। झालको को गुमला जिले में 1.75 करोड़ की लागत से 18 कच्च चेक डैम बनाने का काम दिया गया था। झालको ने अपने ही सतह से मंसूबा बंदी का शकल बदल कर पक्का चेक डैम कर दिया। 1.36 करोड़ की लागत ने डैम बनाया, पर पाइप और मोटर नहीं लगाये गये।