कादयानी हज़रात मुझे वोट ना डालें

इस्लामाबाद के बल्दीयाती इन्तेखाबात में एक आज़ाद उम्मीदवार को अपनी मुहिम के आख़िरी दिनों में अपने पमफ्लेट पर स्याह लकीर खींचना पड़ी है। वोटरों को क़ाइल करने के लिए उन्हों ने हज़ारों पमफ्लेट छपवाए लेकिन इंतिख़ाबात से पहले पमफ्लेट के एक जुमले पर घर में ही इख़तिलाफ़े राय पैदा हो गया।

यूनीयन कौंसिल तीस से इंतिख़ाब लड़ने वाले शीराज़ फ़ारूक़ी ज़ाती हैसियत में नौ सालों से क़ुरान-ए-पाक के तहफ़्फ़ुज़ की मुहिम चला रहे हैं। मुक़द्दस औराक़ और नुसख़ों को जमा करके महफ़ूज़ करते हैं और इंतिख़ाबी मंशूर में भी उन की यही अव्वलीन तर्जीह है।