काबुल में महरो सीन को दर्दनाक अज़ीयत

काबुल 01 नवम्बर(एजैंसीज़) अफ़्ग़ानिस्तान के दार-उल-हकूमत काबुल में अमरीकी फ़ौजी हेडक्वार्टर के क़रीब एक मज़बूत दीवार के इस पार अफ़्ग़ान इनटलीजॆन्स एजैंसी ने अपनी एक जेल क़ायम की है, जिस में तक़रीबन 40 मुश्तबा दहश्तगरदों को हिरासत में रखा गया है।

ये जेल डिपार्टमैंट “124 के नाम से मशहूर है और यहां मुश्तबा अफ़राद को इस क़दर अज़ीयत पहोनचाई जाती है कि यहां महरूस एक शख़्स ने अक़वाम-ए-मुत्तहिदा को जब अपनी बिप्ता सुनाई तो उसे लोग जहन्नुम से ताबीर करने लगॆ ।

अफ़्ग़ान इनटलीजनस एजैंसी के इलावा स्टेट डिपार्टमैंट के आला ओहदेदारान, सी आई ए और अमरीकी फ़ौज को इस जेल में अज़ीयतों के ताल्लुक़ से कई मर्तबा ख़बरदार भी किया गया है।

अवाम को इस खु़फ़ीया जेल की इत्तिला मिलने से पहले ही उसे बंद करने की कोशिश की गई लेकिन अमली तौर पर कोई इक़दामात नहीं हुई। अफ़्ग़ान और मग़रिबी ममालिक के ओहदेदारान ने सूरत-ए-हाल को बिगड़ने से बचाने के लिए कुछ नहीं किया जबकि गुज़श्ता दस साल से जब अफ़्ग़ान जंग शुरू हुई, ये जेल मुश्तबा अफ़राद के लिए जहन्नुम बनी हुई है।

अमरीका जंग शुरू होने के बाद से महरूस अफ़्ग़ान शहरीयों को इसी जेल में तहवील में रखते हुए उन्हें अज़ीयत पहूँचा रहा है।

सी आई ए के ओहदेदार मुसलसल यहां का दौरा करते हुए तालिबान और अलक़ायदा के मुश्तबा अफ़राद से तफ़तीश किया करते हैं।

ओहदेदारान ने बताया कि अवाम को इस जेल के ताल्लुक़ से हक़ायक़ का इलम होने से पहले ही अमरीका पर ज़ोर दिया गया था कि उसे बंद कर दे लेकिन इस ने ये मुतालिबा तस्लीम नहीं किया।

अमरीका के एक ओहदेदार ने इस जेल में महरो सीन को अज़ीयत से मुताल्लिक़ इंतिबाह नजरअंदाज़ करने की तरदीद की और कहा कि जब कभी ऐसे मसाइल उठाए जाते हैं तो ज़रूरी कार्रवाई की जाती है।