काग़ज़ नगर में इस्लामिक वेलफ़ेर सोसाइटी का तआरुफ़ी जलसा

काग़ज़ नगर, 01 अप्रेल: काग़ज़ नगर के मुस्लिम मेनारिटी फंक्शन हाल में इस्लामिक वेलफ़ेर सोसाइटी का तआरुफ़ी जलसा आज ग्यारह बजे दिन बसदारत जनाब एम एन बेग ज़ाहिद स्टेट सेक्रेटरी शोबा ख़िदमते ख़लक़ आन्ध्रा प्रदेश मुनाक़िद हुआ। जनाब मुहम्मद इसहाक़ नाज़िम ज़िला मग़रिबी आदिलाबाद, जनाब मुहम्मद बशीरुद्दीन अमीर मुक़ामी जमाते इस्लामी हिंद काग़ज़ नगर, जनाब अहमदुल्लाह ख़ान सदर ऑल मेवा, जनाब मुहम्मद यासीन साबिक़ सदर ईदगाह कमेटी और जनाब ज़बीहुल्लाह क़ुरैशी, हाफ़िज़ मुबय्यन मेहमानान ख़ुसूसी थे।

जलसे का आग़ाज़ जनाब आसिफ़ अली ख़ान की तिलावते कलाम पाक से हुआ। जनाब सय्यद फ़ाज़िल और जनाब सैफ़ुद्दीन ने नाते पाक और तराना पढ़ा। जनाब अक़ील अहमद कन्वीनर जलसा ने सदर और मेहमानान ख़ुसूसी के इलावा हाज़िरीन का इस्तिक़बाल किया। जनाब एम एन बेग ने मुख़ातिब करते हुए कहा कि हमारे मुल्क का सब से बड़ा अलमीया ये है कि सरमायादारी निज़ाम ने सारी इंसानियत को सूद की लानत से नवाज़ा और हम इस के शिकंजे में फंसे हुए हैं। जबकि दुनिया का निज़ाम बगै़र सूद के भी चल सकता था,और दफ़ा 1995 के मुताबिक़ कोआपरेटिव सोसाइटी की बुनियाद पड़ी जिस की वजह जमाते इस्लामी हिंद ने बिला सूदी कारोबार का आग़ाज़ किया और शोबा ख़िदमत हलक़ के तहत बिला सूदी सोसाइटीज़ का आग़ाज़ किया।

सूद दरअसल फ़लाह इंसानियत और अदल-ओ-इंसाफ़ के ख़िलाफ़ एक जंग है। दुनिया में कोई भी क़ौम उस वक़्त तक तरक़्क़ी नहीं कर सकती जब तक तालीम, मआशी हालत, सेहत और तहफ़्फ़ुज़ को यक़ीनी ना बनाया जाये। हमारे मुआशरे में ऐसे मुतमव्विल अफ़राद भी मौजूद हैं जो हर साल उमरा और हज की ज़ियारत की सआदत हासिल तो कर लेते हैं,लेकिन अपने ही क़रीबी ग़रीब रिश्तेदारों की मदद नहीं करते और उन की भूक-ओ-प्यास के इलावा बीमारियों में भी साथ नहीं देते।

क़ियामत के दिन ऐसे लोगों से पूछ होगी। उन्होंने कहा कि स्वामीनाथन बाबाए इन्क़िलाब ने भी इस बात पर ज़ोर दिया था कि जब तक कि इस्लामी तर्ज़ के बिला सूदी बैंक क़ायम नहीं किए जाते किसान इसी तरह ख़ुदकुशी करते रहेंगे। जनाब एम एन बेग ज़ाहिद ने कहा कि बड़े बड़े सरमायादार हुकूमतों को क़र्ज़दार बनारहे हैं जिस की वजह से मुआशरे में बिगाड़ पैदा होरहा है। क़र्ज़े हुसना के रिवाज को आम करना चाहिए।

आजकल शादी ब्याह में फुज़ूलखर्ची को तर्जीह दी जा रही है, अगर इस में 15% कटौती करें तो ग़रीब और मुस्तहिक़ लोगों की शादी रचाई जा सकती है। उन्होंने इस्लामिक वेलफ़ेर सोसाइटी के अराकीन को मुबारकबाद दी और कहा कि इस तरह के बिला सूदी कारोबार का हर ज़िला, मंडल और देहातों में आग़ाज़ करना चाहिए। जनाब मुहम्मद असहक़ ने मुख़ातिब करते हुए कहा कि इस्लाम एक मुकम्मल निज़ाम हयात है और क़ुरआन एक ज़ाबता हयात, ये अलफ़ाज़ हमारे लिए अजनबी बन कर रह गए हैं।

इस्लाम में ज़कात एक ऐसा रुकन है अगर हर मुसलमान ईमानदारी से ज़कात अदा करें तो दुनिया में कोई भी मुसलमान ग़रीब नहीं रहेगा जो मिल्लत पर एक सवालिया निशान है। उन्होंने अफ़सोस ज़ाहिर करते हुए कहा कि मसाजिद के रूबरू बुर्क़ापोश ख़वातीन ग़रीब और यतीम बेवाएं और जिस्मानी माज़ूर ख़वातीन खड़े होकर हाथ फैलाती हैं जो बाइस तशवीश है। उन्होंने कहा कि ईसाई मिशनरीज़ और क़ादियानी ज़हनियत के अफ़राद मुसलमानों को दीन से गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।

उस की रोक थाम के लिए जमाते इस्लामी हिंद 65 साल के अर्सा से कोशिश करती चली आरही है। जनाब ग़ुलाम मुहम्मद मुस्तफ़ा ख़ाज़िन सोसाइटी ने सालाना रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि इस्लामिक वेलफ़ेर सोसाइटी को 15 जुलाई 2012 को क़ायम किया गया जिन में अहले ख़ैर हज़रात का भी तआवुन रहा। आठ माह के क़लील अर्सा में 187 अफ़राद ने रुकनियत हासिल की नीज़ 11अफ़राद को गोल्ड लोन और 13 अफ़राद को क़र्ज़ भी दिया गया।

उन्होंने ग़रीब और तिजारत पेशा अफ़राद से अपील की कि मज़कूरा सोसाइटी में शमूलियत हासिल करके अपने कारोबार को मुस्तहकम बनाएं और सूद की लानत से बचें। जनाब नज़ीर अहमद सदर आईटा (AIITA) ने जलसे की कार्रवाई चलाई। जनाब वसी अहमद नायब सदर सोसाइटी के इज़हारे तशक्कुर पर जलसा इख़तेताम पज़ीर हुआ।

इस मौक़े पर जनाब मुहम्मद अक़ीलुद्दीन जनरल सेक्रेटरी, जनाब सरदार ख़ान, सेक्रेटरी एम पी जे, जनाब मंसूर अहमद, जनाब मंसूर अहमद, जनाब मेराज मुदर्रिस, जनाब रहमान ग़ौरी मुदर्रिस के इलावा जमाते इस्लामी हिंद और स्टूडेंट्स इस्लामिक आर्गेनाईज़ेशन के अराकीन की कसीर तादाद मौजूद थी।