कुरआन और हदीस के मुताबिक पत्नियों के 11 बुनियादी अधिकार

आमतौर पर जिन लोगों ने इस्लाम के बारे में नहीं पढ़ा है वह समझते हैं कि इस्लाम में औरतों को कोई एहमियत नहीं दी गयी है वे मानते हैं कि मुसलमान शादी सिर्फ औरतों को गुलाम बनाने के लिए करते हैं हकीक़त में ऐसा नहीं है इस्लाम में पति और पत्नी के रिश्ते को बहुत अहमियत दी गयी है इस रिश्ते में पति और पत्नियों को एक दुसरे पर बहुत से अधिकार प्राप्त हैं और कुछ जिम्मेदारियां भी हैं

यहाँ हम आपको कुछ अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि इस्लाम ने पत्नियों को दिए हैं:

1. एक पति को अपनी पत्नी की घर के काम में मदद करनी चाहिए

2. एक पति को अपनी पत्नी के प्रति निःस्वार्थ रूप से समर्पित होना चाहिए और उसे बिना शर्त प्यार देना चाहिए

3. एक पत्नी को अपने पति से खुला (तलाक) लेने का अधिकार है

4. एक पत्नी को अपने पति से तलाक लेना, या पति के मरने के बाद दुबारा शादी का अधिकार है

5. एक पति को अपनी पत्नी की खूबियों की तारीफ करनी चाहिए, उसके सामने भी और दूसरों के सामने भी

6. हर पति की ज़िम्मेदारी है कि वह अपनी पत्नी के लिए खाने, कपड़े और घर की व्यवस्था करे

7. एक पत्नी अपने कमाएं धन को अपनी मर्ज़ी से खर्च कर सकती है और उसे अपने पति से इसके लिए कोई इजाज़त लेने की ज़रूरत नहीं है

8.शादी के बाद औरतों को नाम बदलने की ज़रूरत नहीं है

9. एक पत्नी को अपने साज श्रृंगार के लिए सभी ज़रूरतों को पाने का हक है

10. एक पति को इसका कोई अधिकार नहीं वह अपनी पत्नी को उसके माता-पिता या करीबी रिश्तेदारों से मिलने से रोके, या बिना किसी जायज़ वजह के उसे घर से न निकलने दे

11. भले ही आदमी अपना ज़्यादातर वक़्त घर से बाहर गुज़ारता हो, लेकिन यह उसकी ज़िम्मेदारी है वह अपने बच्चों की देखभाल में पत्नी की मदद करे