केंद्र का अगला निशाना सोना?

हैदराबाद 27 नवंबर: प्रमुख मुद्रा को रद्द करने के बाद केंद्र का अगला निशाना सोना है। देश की जनता अपने सोने पर घोषणा करने के लिए तैयार हो जाएं अन्यथा वे मुद्रा संकट की तरह सोना संकट का सामना करना पड़ेगा। सरकार ने सोने की खरीद-फरोख्त पर कड़ी निगाह रखी है।

500 और 1000 रुपये के नोटों की समाप्ति के बाद कालाधन रखने वालों ने बड़ी संख्या में सोना खरीदा है। इंटेलिजेंस और अन्य खोजी एजेंसियों की रिपोर्ट पर दो दिन पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में विचार-विमर्श किया गया। सूत्रों से पता चला कि कैबिनेट में सोना रखने वालों के खिलाफ मोर्चा खोल देने का फैसला किया गया जिस उद्देश्य के लिए प्रमुख मुद्रा पर रोक लगा दी गई थी उसके सकारात्मक परिणाम होने से पहले ही गैरमहसोब संपत्ति रखने वालों ने कालाधन को सोना खरीदते हुए सफेद धन में बदल दिया है। ऐसे कई परिवार हैं जिनके पास काफी सोना है।

कोई बैंक के लॉकर में सुरक्षित रखे हैं कोई बेटियों की शादी की चिंता में सोना खरीद चुके हैं। भारतीय सभ्यता में महिलाओं के सोने व कीमती गहने महत्व देती हैं और एक दूसरे से आगे ले जाने और समाज में अपने रुख को पेश करने की कोशिश करती हैं लेकिन अब सोना रखना महत्व अधिक परेशान हो जाएगा क्योंकि सरकार सोने की खरीदी के सीमा निर्धारित करने का फैसला कर चुकी है और उसकी अमल आवरी रहनुमायाना ख़ुतूत तैयार किए जा रहे हैं।

केंद्र सरकार सोने के लेनदेन बॉण्ड्स और खरीद ऑनलाइन कनेक्ट करने की तैयारी कर रही है। सरकार देश के हर नागरिक से अपने पास मौजूद सोने के बारे में रजाकाराना घोषणा करने पर जोर देगी।इसके बाद ही अनुमान लगाया जा सकता है कि जनता के पास कितना सोना है। उदाहरण के लिए आपके पास एक किलो सोना है, जो अपने घोषणा कर चुके हैं तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी। हालांकि भविष्य में इस पर टैक्स वसूल करने के अंदेशे हैं और यही सरकार की रणनीति है।

घोषणा के बाद सरकार एक व्यक्ति और परिवार को अपने पास सोना खरीदने की सीमा निर्धारित करेगी। सरकार को ई टी एफ की द्वारा सरकारी बॉण्डस से खरीदने के लिए हौसला-अफ़ज़ाई करेगी। इसके अलावा उसके पास मौजूद सोने को बैंकों में रखने का निर्देश देगी। सरकार की ओर से मुक़र्रर करदा हद से ज़्यादा सोना रखने के मामले में जुर्माना अदा करने जनता को तैयार रहना होगा।