क्या सऊदी अरब को परमाणु तकनीक देगी अमेरिका?

मध्यपूर्व में परमाणु तकनीक के विकास के बारे में अमरीका का दोहरा रवैया है। एक ओर तो वह ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम का विरोध करता है और दूसरी ओर अपने क्षेत्रीय घटकों को परमाणु तकनीक देने और उसके विकास का समर्थन करता है।

रिपोर्टों से पता चलता है कि ट्रम्प प्रशासन सऊदी अरब को परमाणु तकनीक देने की कोशिश कर रहा है। अमरीकी प्रतिनिधि सभा ने मंगलवार को एक रिपोर्ट में बताया है कि अमरीका की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्यों के विरोध के बावजूद ट्रम्प के सलाहकार और उनके निकटवर्ती लोग सऊदी अरब को संवेदनशील परमाणु उपकरण बेचने की कोशिश कर रहे हैं।

24 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में, जिसे अमरीकी प्रतिनिधि सभा में देख-रेख करने वाली समिति के प्रमुख एलिजा कमिंग्स ने जारी किया है, कहा गया है कि पिछले दो बरसों में इन लोगों ने सऊदी अरब के साथ परमाणु वार्ता को आगे बढ़ाने की कोशिश की है।

इन कोशिशों को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी अमरीका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल फ़्लिन को दी गई थी जिसे बाद में ट्रम्प सरकार के ऊर्जा मंत्री रेक पेरी ने आगे बढ़ाया। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरीका की संवेदनशील परमाणु तकनीकी को सऊदी अरब को स्थानांतरित करने की कोशिश के संबंध में रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी की बीच गहरी चिंता पाई जाती है।

एेसा प्रतीत होता है कि ट्रम्प सरकार चाहती है कि सऊदी अरब को परमाणु तकनीक देने के लिए भी वही शैली अपनाए जो अमरीका ने इस्राईल के संबंध में अपनाई थी जिसके चलते ज़ायोनी शासन ने परमाणु हथियार बना लिए थे।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, अमरीका की ओर से हरी झंडी दिखाए जाने के बाद यूरोपीय देशों ने परमाणु हथियार बनाने की तकनीक और आवश्यक उपकरण इस्राईल को दे दिए थे।

रिपोर्टों के अनुसार इस समय ज़ायोनी शासन के पास लगभग 200 परमाणु हथियार हैं जिनसे वह मध्यपूर्व के देशों को डराने और क्षेत्र में अशांति फैलाने का काम ले रहा है।

ट्रम्प सरकार ने सऊदी अरब को असीम ढंग से हथियार बेच कर और अब उसे परमाणु तकनीक देकर अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए के क़ानूनों समेत सभी अंतर्राष्ट्रीय नियमों और सिद्धांतों की धज्जियां उड़ा रही है।