क्षेत्रिए दलों को कांग्रेस हल्के में न ले- देवगौड़ा

कर्नाटक में जनता दल सैकुलर (जद-एस) और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार में चल रहे तनाव के बीच पूर्व प्रधानमंत्री और जद (एस) नेता एच.डी. देवेगौड़ा ने चेतावनी दी है कि कांग्रेस पार्टी क्षेत्रीय दलों को हल्के में न ले। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं है कि क्षेत्रीय दल हर जगह उसके साथ आगामी लोकसभा चुनाव लड़ें।

देवेगौड़ा गुरुवार को नई दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 6 गैर-एन.डी.ए. दल एच.डी. कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री पद की शपथ के दौरान उपस्थित थे जो एकजुट विपक्ष को दर्शाता है लेकिन यह जरूरी नहीं है कि वे वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में हरेक राज्य में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ें।

गौरतलब है कि एकजुटता दिखाने के लिए कांग्रेस, टी.एम.सी., बसपा, आम आदमी पार्टी, सी.पी.एम. और टी.डी.पी. के नेता मई में हुए शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बेंगलूर में उपस्थित थे।

गठबंधन पर फिलहाल कुछ निश्चित नहीं: देवेगौड़ा ने कहा कि समाजवादी पार्टी और बसपा अब भी 80 लोकसभा सीटों वाले यू.पी. में 40-40 सीटों के बंटवारे पर बात कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में टी.एम.सी. और कांग्रेस एक साथ चुनाव लडऩे के लिए लगभग सहमत हो गई हैं।

अन्य राज्यों में महाराष्ट्र में एन.सी.पी., आंध्र प्रदेश में टी.डी.पी. और तेलंगाना में टी.आर.एस. को अभी कांग्रेस के साथ चुनाव लडऩे पर फैसला लेना बाकी है।

जद (एस) नेता ने कहा, ‘‘केवल कर्नाटक में हमने फैसला किया है कि कुछ मतभेदों के बावजूद कांग्रेस के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। अब तक इस मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कुमारस्वामी के बीच वार्ता होनी थी जो टल गई।’’

देवेगौड़ा ने अपनी गठबंधन सहयोगी बसपा के लिए भी एक लोकसभा सीट मांगी है। उन्होंने कहा कि हमने कर्नाटक में एक लोकसभा सीट अपने गठबंधन सहयोगी बसपा को भी देने का फैसला किया है।

इसके बदले में हम बसपा से कहेंगे कि वह यू.पी. में एक सीट उनके महासचिव दानिश अली को दे दे। केरल में एल.डी.एफ. उनको एक सीट देगी। जद (एस) नेता ने कहा कि वह नई दिल्ली में कांग्रेस नेताओं से मिलने या सिद्धरमैया की शिकायत करने नहीं आए हैं।

देवेगौड़ा ने कहा कि जल्द तीसरे मोर्चे का गठन होना चाहिए क्योंकि पी.एम. मोदी और अमित शाह ने अप्रैल की बजाय मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के साथ दिसम्बर में लोकसभा चुनाव करवाने के संकेत दिए हैं।

उल्लेखनीय है कि कर्नाटक के पूर्व सी.एम. सिद्धरमैया न केवल कुमारस्वामी की गठबंधन सरकार के लिए समस्या खड़ी कर रहे हैं बल्कि कांग्रेस के लिए भी ङ्क्षचता की वजह बन गए हैं।

कुमारस्वामी द्वारा पूर्ण बजट पेश करने पर नाखुशी जता रहे सिद्धरमैया की पार्टी विधायकों से हो रही मुलाकातें अब पार्टी हाईकमान के माथे पर भी बल डाल रही हैं।

कर्नाटक से आने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने भी स्वीकार किया है कि उन्होंने वायरल हुआ वीडियो देखा है। हालांकि उन्होंने इससे इंकार किया कि इस पर पार्टी कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई कर सकती है।