ख्वातीन के जिस्मानी ढ़ाचे पर ध्यान देना जानलेवा

मर्दों और ख़्वातीन पर किए गए स्टडी से पता चला है कि मर्दों के मुकाबले में ख़्वातीन की तस्वीरों को ज़्यादा और काफी ज़्यादा वक्त तक देखा जाता है। मर्दों और ख़्वातीन के मिले-जुले ग्रुप में भी ख़्वातीन की तस्वीरों को ज़्यादा मरतबा देखा जाता है।

सिनसिनाटी युनिवर्सिटी के नफ्सियाती प्रोग्राम की रिसर्च तालिबा मेरी जेन अमॉन के मुताबिक, “”हमें इस स्टडी में मालूम चला है कि ख़्वातीन की तस्वीरों को ज़्यादा देखा गया है।

ख़्वातीन की तस्वीरों को सबसे पहले और सबसे आखिर में भी देखा गया। सबसे ज़्यादा देर तक ख़्वातीन की तस्वीरों को ही देखा गया। मर्दों और ख़्वातीन दोनों नाज़रीन में यकसा हालत थी।”” अमॉन ने कहा कि इस स्टडी से Commodity theory का पता चलता है कि ख़्वातीन को अक्सर अपनी जिस्मानी ढ़ाचे की बुनियाद पर रेटेड किया जाता है।

इसे अक्सर sexuality से भी जो़डा जाता है और यहां तक कि ख़्वातीन के सिर्फ जिस्मानी आज़ा (Body parts) को ही देखा जाता है। इस वजह से कई बार मनफी नतीजे भी भुगतने प़डते हैं।

अमॉन के मुताबिक ख़्वातीन खुद को जिस्मानी ढ़ाचे के ताल्लुक में तशखीस शुरू कर देती हैं। इस स्टडी के लिए भागीदारों को दो ग्रुपों में बांटा गया।

पहले ग्रुप में 100 कॉलेज के लड़के और लड़कियां शामिल थी। दूसरे ग्रुप में 76 कॉलेज के लड़के शामिल थे, जिन्हें बताया गया कि उन्हें Visual stimulation से जु़डी जांच पर नफसियाती रद्दे अमल देनी होगी।

इस ताल्लुक में उन्हें लोगों, कला, कुदरती मंज़र, जानवरों और कार्टूनों की तस्वीरें दिखाई जाएंगी। इसके बाद नाज़रीन ग्रुप को तस्वीरें देखने के लिए कंप्यूटर मॉनीटर के सामने बैठा दिया गया। तस्वीरें देखते वक्त जद्दो जहद में शामिल उम्मीदवारों की नजरों की सरगर्मियो को मापने और रिकॉर्ड करने के लिए eye meter डिवाइस का इस्तेमाल किया गया, जिसके बारे में उम्मीदवारों को जानकारी नहीं दी गई थी। यह रिसर्च Psychology Magazine Frontier में शाय हुई है।