गरमाई तातीलात में बच्चों को तैराकी के शौक़ से बचाएं

नुमाइंदा ख़ुसूसी – सब से बड़ा ज़ेवर और सब से अहम चीज़ जिस से वालदैन अपने बच्चों को आरास्ता करें, वो उन की सालेह तरबियत है जिस पर बच्चा की आईंदा ज़िंदगी की तामीर होती है। बच्चा के रोशन और तारीक मुस्तक़बिल का मदार इसी तरबियत पर है बल्कि बाअज़ औक़ात सहीह तरबियत के फ़ुक़दान के सबब इस के नताइज मौत-ओ-हयात की भयानक शक्ल में भी रौनुमा होते हैं। लिहाज़ा वालदैन को अपने इस फ़रीज़ा के हवाले से ज़रा भी ग़फ़लत नहीं बरतनी चाहीए। ये अय्याम गरमाई तातीलात के चल रहे हैं।

अभी बच्चे इमतिहानात की कैद-ओ-बंद से आज़ाद हो रहे हैं। लिहाज़ा वो अपने आप को कुछ अय्याम तक आज़ाद और अपने ज़हन-ओ-दिमाग़ को तर-ओ-ताज़ा करने के लिए मुख़्तलिफ़ तफ़रीही मुक़ामात का रुख करते हैं। मौसम-ए-गर्मा की वजह से मालदार घरानों के बच्चे सोइमिंग पुलिस को तरजीह देते हैं जब कि गरीब बच्चे अपने तैराकी के शौक़ को पूरा करने के लिए तालाबों में ग़ोता ज़नी करते हैं और तालाबों और बाउली की क़िल्लत की वजह से बहुत से बच्चे अपने इलाक़ा में जमा शूदा गंदे पानी में छलांग लगाकर गर्मी की तमाज़त से महफ़ूज़ रहने की कोशिश करते हैं। ज़ेर नज़र तस्वीर में आप देख सकते हैं कि बच्चा किसी सोइमिंग पुल में तालाब में नहीं कूद रहा बल्कि ये इलाक़ा के गंदे पानी का ज़ख़ीरा है।

नीज़ इस में पत्थर, कांच और दीगर धारदार अशिया–की वजह से हादिसात भी पेश आते रहते हैं। आए दिन अख़बारात में इसी खबरें नज़रों से गुज़रती रहती हैं। अभी हाल ही में 22 मार्च को 11 साला सय्यद समीर कादरी तालाब में ग़र्क़ाब होकर फ़ौत होगया और इस को निकालने के लिए तालाब में दाख़िल हुए इस के मामूं 50 साला सय्यद महमूद भी डूब कर इंतिक़ाल कर गए। सय्यद समीर कादरी अपने दोस्तों के साथ पहाड़ी शरीफ के इलाक़ा उसमान नगर तालाब में तैरने के लिए गया था। जब इस के तमाम साथी तालाब से निकल आए और उसे अपने दरमियान ना पाया तो उन्हें तशवीश हुई। सय्यद समीर के मामूं सय्यद महमूद अपने कुछ ग़ोता ख़ौर साथियों के साथ समीर की तलाश में तालाब में कूद पड़े।

कुछ देर के बाद तालाब से एक नहीं बल्कि मामूं और भांजे दोनों की लाशें निकलें। इस वाक़िया से पूरे इलाक़े में रंज-ओ-ग़म की लहर फैल गई और दोनों घर में मातम का माहौल पैदा होगया। सय्यद समीर कादरी के वालिद सय्यद अज़ीम कादरी जो पेशा से आटो ड्राईवर हैं, जिस से उन की मआशी हालत का अंदाज़ा होता है, ने दर्द भरे लहजे में कहा कि मेरे पास कुछ भी अपना नहीं, ना ज़ाती मकान है, ना ज़ाती आटो है। सिर्फ एक बेटा था, वो भी अल्लाह को प्यारा होगया। वाज़ेह रहे कि सय्यद समीर कादरी इन का इकलौता बेटा था।

सय्यद अज़ीम ने बताया कि मैं इतने ग़म-ओ-रंज में मुबतला हूँ कि मुश्किल से गुफ़्तगु की हिम्मत कर पारहा हूँ, लेकिन मैं वालदैन को पैग़ाम देना चाहता हूँ कि इमतिहानात की तातीलात शुरू हो चुकी हैं। उसे मौक़ा पर अपने बच्चों की ख़ुसूसी निगरानी करें। कहीं मेरी तरह ख़ून के आँसू ना बहाने पड़े। ग़र्क़ाब होने वाले सय्यद महमूद की बीवी आज से दस साल कब्ल इंतिक़ाल करगई थी। सय्यद महमूद के चार बच्चे हैं।

अब इन बच्चों के हाँ ना माँ की ममता रही और ना बाप की शफ़क़त-ओ-सरपरस्ती। दोनों से ये हमेशा के लिए महरूम होगए। इस दर्द अंगेज़ वाक़िया से सबक़ लेते हुए वालदैन को आने वाली तातीलात में अपने बच्चों की ख़ुसूसी निगरानी करनी चाहीए। अपने औक़ात ज़्यादा से ज़्यादा उन के साथ गुज़ारने चाहीए। बच्चा अगर सोइमिंग पोल भी जा रहा है तो वहां के कोच को ताकीद की जाय, कीवनका सोइमिंग पोल में भी एक दूसरे पर कूदने से साल गुज़श्ता मौत के दो वाक़ियात पेश आचुके हैं।

लिहाज़ा इस हवाले से भी सर परस्त हज़रात को मुकम्मल चौकन्ना रहने की ज़रूरत है। उसमान सागर (गंडी पेट), मीर आलिम तालाब की तरफ़ भी बच्चे वालदैन की इजाज़त के बगैर चले जाते हैं जब कि इन मुक़ामात पर बेशुमार हादिसात होचुके हैं। बसा औक़ात बचा जाता है दोस्तों के साथ, लेकिन उसे लाने के लिए अका़रिब-ओ-रिश्तेदारों को जाना पड़ता है जब कि वहां हर जगह लिखा है कि तैराकी मना है और काबुल जुर्माना सज़ा है।

फिर भी बच्चे तैरते हैं। लिहाज़ा वालदैन को चाहीए कि अपने बच्चों को तन्हा ना जाने दें। कहीं आप की लापरवाही से बचा की जान चली ना जाय और आख़िरी सांस तक आप को रुलाता रहे!