गुजराल की पहली बरसी,समाधि को फ़रोग़ देने फ़र्ज़ंद नरेश गुजराल का मुतालिबा

साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म आई के गुजराल के फ़र्ज़ंद नरेश गुजराल ने उनके वालिद की समाधि के मुक़ाम को फ़रोग़ देने के लिए मुहिम शुरू की। उन्होंने आँजहानी क़ाइदीन के लिए अलैहदा यादगारें क़ायम ना करने हुकूमत की पालिसी पर शदीद तन्क़ीद की।

नरेश गुजराल जो अकाली दल के रुकन पार्लियामेंट हैं, उनकी मुहिम को राज्य सभा में क़ाइद अपोज़िशन अरूण जेटली की ताईद हासिल है। क्योंकि दोनों जमातें एस ए डी और बी जे पी हलीफ़ हैं। जनतादल लीडर आई के गुजराल अप्रैल 1997 ता मार्च 1998 -ए-तक़रीबन एक साल मख़लूत हुकूमत के वज़ीर-ए-आज़म रहे जिसे कांग्रेस की बैरूनी ताईद हासिल थी।

इनका गुज़िश्ता साल 30 नवंबर को इंतेक़ाल हुआ और आज पहली बरसी है। नरेश गुजराल ने कहा कि वो कोई तनाज़ा खड़ा करना नहीं चाहते क्योंकि उनके वालिद ग़ैर मुतनाज़ा शख़्सियत थे। लेकिन हुकूमत का मौक़िफ़ इंतिहाई अफ़सोसनाक है। इस मसले पर अरूण जेटली को वज़ीर-ए-आज़म ने जवाब दिया था कि अगस्त 2000 से काबीना के फ़ैसले के मुताबिक़ आँजहानी क़ाइदीन के लिए अलैहदा समाधि तामीर नहीं की जा रही है। नरेश गुजराल ने कहा कि ऐसा लगता है कि ये सिर्फ़ गैरकांग्रेसी वुज़राए आज़म के लिए है।