गुम्बदाने क़ुतुबशाही की मरम्मत और आहक पाशी को मंज़ूरी

हुकूमते हिन्द की तरफ से गुम्बदाने क़ुतुबशाही की तज़ईन-ओ-मरम्मत के लिए ख़ुसूसी फंड्स की तख़सीस अमल में लाई गई है लेकिन इन फंड्स के मुताल्लिक़ ताहाल कोई वज़ाहत नहीं है और रक़म की इत्तेला भी मौसूल नहीं हुई है लेकिन हुकूमत-ए-हिन्द-ओ-हुकूमत तेलंगाना दोनों ही गुम्बदाने क़ुतुबशाही को आलमी विरसा की फ़हरिस्त में शामिल करवाने की कोशिश कररहे हैं। बीवी आचार्य आई ए एस प्रिंसिपल सेक्रेटरी प्लानिंग एंड टूरिज्म तेलंगाना ने गुम्बदाने क़ुतुबशाही में जारी तज़ईन-ओ-आहक पाशी के कामों के मुआइना के बाद ज़राए इबलाग़ के नुमाइंदों से बातचीत करते हुए ये बात बताई।

उन्होंने बताया कि रियासत तेलंगाना में मौजूद गुम्बदाने क़ुतुबशाही में मौजूद ख़ुसूसीयात इस तारीख़ी सयाहती मुक़ाम को आलमी विरसा की फ़हरिस्त में शामिल करवाने के लिए काफ़ी है। बी पी आचार्य ने बताया कि गुम्बदाने क़ुतुबशाही के अतराफ़ मौजूद नाजायज़ क़बज़ाजात की बर्ख़ास्तगी के लिए कमिशनर मजलिस बलदिया अज़ीम तर हैदराबाद से बातचीत करते हुए फ़ैसला किया जाएगा। उन्होंने बताया कि नवंबर 2013 में गुम्बदाने क़ुतुब शाही की तज़ईन आहक पाशी और मरम्मत के कामों को मंज़ूरी दी गई थी लेकिन बाज़ तनाज़आत की वजह से ताख़ीर हुई थी। बी पी आचार्य ने बताया कि प्रोजेक्ट में लैंड एस्केपिंग के लिए हुकूमत को 85 करोड़ की तजावीज़ पेश की गई थीं।

उन्होंने कहा कि 2018-19 तक इस प्रोजेक्ट को मुकम्मिल करलिया जाएगा। और 104 एकऱ् अराज़ी पर मुहीत 72 तारीख़ी आसार में 30 इमारतों को 2016 तक मुकम्मिल करने का निशाना है और उमीद हैके आग़ाख़ान ट्रस्ट की इआनत के साथ इस निशाना को मुकम्मिल करलिया जाएगा