गुस्ताख रसूल सल्लललाहु अलैहि वसल्लम को इबरतनाक सज़ा देने का मुतालिबा

करीमनगर 06 दिसंबर: हमारा हिन्दुस्तान मुख़्तलिफ़ मज़ाहिब के मानने वालों का है ये मुल़्क जमहूरी है जहां एक दूसरे के मज़हब का एहतेराम सभी की ज़िम्मेदारी है जहां सदीयों से कई मज़ाहिब के मानने वाले मिल-जुल कर रहते है।

सारे आलम में हिन्दुस्तान एक जमहूरी मुल्क है जिसकी मिसाल दी जा सकती है लेकिन इस मुल्क में हिंदू महासभा के सदर कमलेश तीवारी ने शाने रिसालत में इंतेहाई नाशाइस्ता झूटा इल्ज़ाम लगाया है जिसे कोई मुस्लमान बर्दाश्त नहीं करसकता।

कमलेश तीवारी गंदी ज़हनीयत रखता है उसने शाने रसूल सल्लललाहु अलैहि वसल्लम पर अपनी गंदी ज़बान से जो अलफ़ाज़ बयान किए हैं उसे दुहराया नहीं जा सकता ये काबिल-ए-मज़म्मत हरकत है।

इन ख़्यालात का इज़हार मौलाना बरकत उल्लाह क़ासिमी उस्ताज़ हदीस-ओ-सदर शरई अदालत कमेटी ने किया। वो यहां प्रेस भवन में गुस्ताख रसूल से ख़िताब कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमारा अक़ीदा हैके अल्लाह के बाद किसी और का मर्तबा सिवाए हज़रत मुहम्मद सल्लललाहु अलैहि वसल्लम के किसी का है ही नहीं। बद-बख़्त कमलेश तीवारी ने इंतेहाई गंदी ज़बान इस्तेमाल की है।

उन्होंने कहा कि उसे 153 के तहत गिरफ़्तार किया गया है काफ़ी नहीं है। इस पर एसा दफ़ा लगाया जाये जिसकी तामील में बरसर-ए-आम फांसी दी जा सके। इस मौके पर ईसाआई चांसलर ने नौ मुस्लिम के वाक़िये का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनसे किसी ने सवाल किया कि आपने मज़हब इस्लाम क्युं क़बूल किया तो उनका जवाब था था कि मैं पैदाइशी ईसाई था मुझे बचपन से ये बताया गया कि मुहम्मद सल्लललाहु अलैहि वसल्लम एक बुरे आदमी थे लेकिन मैंने उनकी ज़िंदगी की तारीख़ तलाश करने पर एक भी बुराई नहीं मिली इसी लिए मैंने मज़हब इस्लाम क़बूल किया है। इस्लाम एक सच्चा फ़ित्री मज़हब है उसी लिए आज सारी दुनिया में फैल चुका है।

उन्होंने कहा कि हुकूमत की ये ज़िम्मेदारी हैके ग़लत काम करने वाले को सज़ा दी जाये। उन्होंने बाबरी मस्जिद शहीद किए जाने का ज़िक्र करते हुए कहा कि इस में शामिल सभी दहश्तगर्द हैं।