गोरखपुर बच्चों की मौत मामले में मुझे बलि का बकरा बनाया गया- डॉक्टर कफ़ील

2 साल पहले गोरखपुर के BRD अस्पताल में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी के कारण 60 से अधिक बच्चों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार द्वारा निलंबित कर दिए गए डॉ. कफील खान ने मंगलवार को इस मामले की जांच CBI से कराए जाने की मांग की।

डॉ कफील ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ अभियान के सिलसिले में बिहार आए हुए थे। डॉ. कफील ने पटना में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘मैं BRD में बच्चों की मौत की CBI जांच कराए जाने के साथ उक्त मामले को उत्तर प्रदेश के बाहर ट्रांसफर किए जाने की मांग करता हूं।’

इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम के अनुसार, कफील बेगूसराय में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के प्रत्याशी कन्हैया कुमार के पक्ष में प्रचार करने के बाद मंगलवार को पटना आए। उन्होंने कहा कि इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार लोग खुले घूम रहे हैं।

विभागीय जांच पिछले 18 महीनों से चल रही है जबकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मार्च 2018 में आदेश दिया था कि इसे 3 महीने के भीतर पूरा किया जाए।

डॉ कफील ने दावा किया, ‘हाई कोर्ट ने भी कहा कि मैं किसी भी चिकित्सा लापरवाही या भ्रष्टाचार का दोषी नहीं था और न ही मैं किसी भी तरह से निविदा प्रक्रिया में शामिल था। एक RTI जांच ने यह भी स्थापित किया है कि सिलेंडर की कमी 54 घंटों तक जारी रही थी और मैंने अपने बच्चों को बचाने के लिए खुद ही सिलेंडर की व्यवस्था की थी।’

डॉ कफील ने कहा, ‘मुझे उस त्रासदी के लिए बलि का बकरा बनाया गया जो कि आपूर्तिकर्ता को बकाया भुगतान न करने के कारण ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति में कमी के कारण हुई थी।

मैं मानता हूं कि असली दोषी वे अधिकारी हैं जो बकाया भुगतान के लिए आपूर्तिकर्ताओं से पत्र की मांग कर रहे थे।’ डॉ कफील ने केंद्र से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि GDP का कम से कम 3 प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च किया जाए। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में मौजूदा रिक्तियां लगभग 1.5 लाख होने की उम्मीद है और इसे शीघ्रता से भरने की जरूरत है।