गोलान हाइट्स पर अमेरिका का फैसला इजरायल के हितों में नहीं!

इक़बाल रज़ा, कोलकाता। गोलन हाइट्स कानूनी रूप से सीरिया का हिस्सा हैं, 1967 युद्ध में इज़राइल इसे अपने नियंत्रण में ले लिया और 1981 में एकतरफा कार्रवाई करते हुए पूर्वी यरूशलम तथा इसपर स्थायी रूप से कब्जा कर लिया – जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर या संयुक्त राष्ट्र द्वारा मान्यता नहीं मिली है!

यह जल संसाधनों और उपजाऊ भूमि वाला क्षेत्र है जहाँ तेल(OIL) होने की भी संभावना है! प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न यह क्षेत्र इजरायल के लिए भौगोलिक तथा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।

पिछले दिनों राष्ट्रपति ट्रम्प ने अंतर्राष्ट्रीय क़ानून व संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों उल्लंघन करते हुए गोलन हाइट्स पर इज़राइल के अनुलग्नक (ANNEXURE) को मान्यता देकर दूसरे देशों की भूमि अधिकृत करने की प्रवृति को बढ़ा दी है जिससे विशेष रूप से खाड़ी देशों में शांति-व्यवस्था भंग होने की संभावना बढ़ गयी है!

अमेरिका एकमात्र देश है जो इज़राइल के इस अवैध कब्ज़ा को मान्यता देता है। ट्रम्प का निर्णय पहले की सरकारों की अमेरिकी नीतियों के विपरीत है! संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इसे अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया। यूरोपीय संघ भी अमेरिकी मान्यता को अस्वीकार कर दिया है, और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुरूप गोलन को मान्यता जारी रखेंगे।

ट्रम्प और नेतन्याहू का उनके देशों में होने वाले आगामी चुनाव में हित है!
ट्रम्प इजरायल में लोकप्रिय हैं, विशेष रूप से यरूशलम को इजरायल की राजधानी के रूप में मान्यता देने और अमेरिकी दूतावास स्थानांतरित करने के बाद।

ट्रम्प, अमेरिकी यहूदी मतदाताओं को अपने पक्ष में करना चाहते हैं, वहीँ नेतन्याहू, जो रिश्वत के लिए संभावित अभियोग का सामना कर रहे हैं और अप्रैल के चुनाव में पूर्व सैन्य प्रमुख बेनी गैंट्ज़ के खिलाफ चुनौती का सामना कर रहे हैं। नेतन्याहू गोलन हाइट्स मुद्दे का चुनाव में फायदा उठाना चाहते हैं जो उनके लिए चुनाव में GAME CHANGER हो सकता है!

लेखक: इक़बाल रज़ा ( अरब देशों के जानकार)