ग्लोबल क्रूड ऑयल मार्केट में तेजी से खत्म हुए मोदी सरकार के अच्छे दिन!

नई दिल्ली : ग्लोबल क्रूड ऑयल मार्केट में तेजी से बढ़ते कच्चे तेल की कीमत और हाल ही में मोदी सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल की कीमतों को प्रति दिन के आधार पर निर्धारित करने का फैसला आम आदमी की जेब पर भारी पड़ना शुरू हो चुका है.अब मोदी सरकार को साफ हो चुका है कि बीते तीन साल के दौरान क्रूड ऑयल की कीमतों से चल रहे उसके अच्छे दिन खत्म हो चुके हैं. वहीं उसके सामने चुनौती वैश्विक स्तर पर बढ़ते कच्चे तेल की कीमत के साथ-साथ देश में बढ़ती महंगाई है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आम आदमी को राहत पहुंचाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले बेसिक एक्साइज ड्यूटी में 2 फीसदी की कटौती करने का फैसला सुनाया. खास बात यह है कि 2014 में मोदी सरकार के गठन के समय तक कच्चे तेल की कीमतें अपने न्यूनतम स्तर पर थी. इसके चलते सरकार के राजस्व में बड़ी बचत हो रही थी. वहीं मोदी सरकार ने अभीतक के अपने कार्यकाल में 1 दर्जन बार एक्साइज ड्यूटी में इजाफा किया है.

बीते एक महीने के दौरान ग्लोबल मार्केट में क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़त देखने को मिल रही है. वहीं वैश्विक अर्थव्यवस्था के जानकारों का मानना है कि कच्चे तेल की कीमतों में अब लगातार बढ़त देखने को मिल सकती है. लिहाजा मोदी सरकार के लिए पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमत से उसके राजस्व पर दोहरी मार पड़ने लगी थी.

लिहाजा महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केन्द्र सरकार ने राहत पहुंचाने के लिए अपने टैक्स में कटौती की है. वहीं पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने के फैसले से केन्द्र सरकार के खजाने को चालू वित्त वर्ष में 13,000 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. वहीं अगले वित्त वर्ष में उसे कुल 26,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा.

डेली प्राइसिंग व्यवस्था से पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करने के फैसले के बाद से लगातार पेट्रोल और डीजल की कीमत में इजाफा होने लगा था. इसके चलते दो महीनों में पेट्रोल और डीजल की कीमत दिल्ली में 2 अक्टूबर तक बढ़कर 70.83 रुपये और 59.07 क्रमश: पहुंच चुकी है.