घरैलू ग़ैस सारिफ़ीन सब्सीडी रक़म से महरूम

घरैलू सारिफ़ीन के लिए पकवान गैस की सब्सीडी को आधार कार्ड और बैंक से मरबूत करने की स्कीम में पाए जाने वाले नक़ाइस को दूर करने में नाकामी का ख़मियाज़ा बेचारे सारिफ़ीन को भुगतना पड़ रहा है। हैदराबाद में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस स्कीम को रूबे अमल लाया गया और इस पर अमल आवरी का आग़ाज़ हुए कई महीने बीत चुके हैं मगर अब तक सब्सीडी रक़म कई सारिफ़ीन के बैंक एकाऊंट्स में मुंतक़िल नहीं हो पा रही है जिस के नतीजे में वो बगैर सब्सीडी के ही गैस सलेंडर्स खरीदने पर मजबूर हैं।

गैस एजंसियों, तेल कंपनियों और बैंकों के माबैन मुनासिब ताल मेल ना होने की वजह से बहुत से सारिफ़ीन इस स्कीम से इस्तिफ़ादा से महरूम हैं। हुकूमत ने ऐसा कोई मेकानिज़म तैयार नहीं किया है कि जिन सारिफ़ीन के बैंक एकाऊंट्स में सब्सीडी रक़म मुंतक़िल नहीं हो पाई है उन्हें किसी मुतबादिल तरीके से सब्सीडी फ़राहम की जाए।

बेशतर सारिफ़ीन ने ये शिकायत की है कि गैस एजेंसी में बैंक एकाऊंट और आधार कार्ड की तफ़सीलात फ़राहम करने और बैंक को भी गैस कनेक्शन से मुताल्लिक़ तफ़सीलात से आगाह कर देने के बावजूद वो सब्सीडी के हुसूल से क़ासिर हैं।

ऐसे ही एक सारिफ़ मुहम्मद मुबश्शिर उद्दीन साकिन महबूब गार्डन टोली चौकी हैं जो इस स्कीम के आग़ाज़ से अब तक सब्सीडी की रक़म के हुसूल के लिए गैस एजेंसी, तेल कंपनी और बैंक के चक्कर काट रहे हैं।

सवाल ये पैदा होता है कि ऐसे सारिफ़ीन जिन्हें सब्सीडी फ़राहम नहीं की जा रही है उन की सब्सीडी आख़िर कहाँ जा रही है और बैंक एकाऊंट से मरबूत होने के बाद आया उन्हें साबिक़ा महीनों की सब्सीडी फ़राहम करने की गुंजाइश है या नहीं? मुबश्शिर ने बताया कि तेल कंपनी के एक ओहदेदार ने बताया कि ताहाल इसी कोई गुंजाइश नहीं है कि बैंक एकाऊंट के आधार कार्ड से मरबूत किए जाने से क़ब्ल की सब्सीडी रक़म फ़राहम की जाए इस लिए उन्हें पिछले महीनों की सब्सीडी रक़म हासिल नहीं होगी।

इस ख़ुसूस में सिविल सप्लाईज़ के हुक्काम को मुदाख़िलत करनी चाहीए और ऐसा कोई तरीका अख़्तियार करना चाहीए कि जिन सारिफ़ीन के बैंक एकाऊंट्स में सब्सीडी मुंतक़िल नहीं की जा सकी उन्हें किसी और तरीका से सब्सीडी फ़राहम की जाए ताकि कोई भी सारिफ़ इस से महरूम ना रह सके।