चीफ़ मिनिस्टर के नए कैंप ऑफ़िस की तैयारी दशहरा से काम शुरू

हैदराबाद 16सितम्बर: तेलंगाना में चीफ़ मिनिस्टर के काम काज में वास्तव का बड़ा दख़ल होता जा रहा है। हुकूमत ने वास्तव के मुशीर का तक भी तक़र्रुर अमल में लाया था और अब उन्हें मुशीर के मश्वरों पर 33 करोड़ रुपए की ख़तीर रक़म ख़र्च करते हुए चीफ़ मिनिस्टर का नया कैंप ऑफ़िस तैयार किया जा रहा है।

ये क़ियास किया जा रहा है कि चीफ़ मिनिस्टर दशहरा तहवार के मौके पर इस नए कैंप ऑफ़िस से काम करना शुरू कर देंगे। वैसे तो अक्सर-ओ-बेशतर सियासत दां जो दूसरों को तो हम परस्ती से बचने की तलक़ीन करते हैं ख़ुद अपनी ज़िंदगीयों और खासतौर पर सियासी काम काज में नुजूमियों की राय को बेहद एहमीयत देते हैं और अपने दफ़ातिर और मकानात की तामीर और सेटिंग वग़ैरा में बहर सूरत वास्तु का ख़ास ख़्याल रखते हैं। ये हमारे सियासतदानों का वतीरा हो गया है।

अब चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्रशेखर राव‌ भी खासतौर पर वास्तु माहिर की राय को अपने कैंप ऑफ़िस के मुआमले में भी एहमीयत दिए हुए हैं। यही वजह है कि अब चीफ़ मिनिस्टर के लिए नया कैंप ऑफ़िस तैयार किया गया है। चीफ़ मिनिस्टर दशहरा के मौके पर इस कैंप ऑफ़िस से काम करना शुरू कर सकते हैं जबकि उसी दिन से रियासत में 17 नए अज़ला भी वजूद में आजाऐंगे। जो नया कैंप एफिस तैयार किया जा रहा है जो मौजूदा कैंप ऑफ़िस से मुत्तसिल है वो 8 एकड़ अराज़ी पर है। समझा जा रहा है कि साबिक़ा कैंप ऑफ़िस को मनहूस समझा गया था। उसी कैंप ऑफ़िस से वाई एस राज शेखर रेड्डी के रोशिया और किरण कुमार ने काम किया था। दिलचस्प बात ये है कि इन तमाम की मयाद अचानक ख़त्म हो गई थी और सियासी करियर भी ख़त्म हो गया। राज शेखर रेड्डी अपनी दूसरी मयाद के अवाइल ही में हादसे का शिकार हो गए। रोशिया ने उनकी जगह संभाली और वो भी दरमयान ही में अपने ओहदे से महरूम हो गए थे। आख़िर में करण कुमार रेड्डी ने चीफ़ मिनिस्टर की ज़िम्मेदारी संभाली और इसी कैंप ऑफ़िस से काम करने लगे। वो मुत्तहिदा आंध्र के आख़िरी चीफ़ मिनिस्टर साबित हुए और उनका सियासी करियर तक ख़त्म हो गया और वो गोशा गुमनामी में चले गए हैं। इन हालात को देखते हुए चीफ़ मिनिस्टर ने मौजूदा कैंप ऑफ़िस को मनहूस समझा था।

उन्होंने इस सिलसिले में वास्तु माहिरीन की राय ली और उनकी राय को देखते हुए नया कैंप ऑफ़िस वास्तु के एतबार से बनाया गया है। इस नए कैंप ऑफ़िस की तैयारी पर 33 करोड़ रुपए की ख़तीर रक़म ख़र्च कर दी गई है। इस के लिए 8 एकड़ अराज़ी को इस्तेमाल किया गया है।