सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज यानी यौन संपर्क के कारण होने वाली बीमारियां. जो बीमारियां किसी दूसरे व्यक्ति के साथ शारीरिक संपर्क में आने के कारण फैलती हैं, विज्ञान की भाषा में उन्हें एसटीडी कहते हैं. जैसे एचआइवी/एड्स और जेनाइटल हर्प्स. इसका एक नाम एसटीआई यानी सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन भी है.
एसटीडी को लेकर कई तरह की गलत अवधारणाएं हैं कि यह कैसे और क्यों फैलता है. यह एक कॉमन भ्रम है कि किसी भी व्यक्ति के साथ यौन संपर्क में आने से एसटीआई की आशंका रहती है. ऐसा नहीं है. एसटीआई की आशंका तभी होती है, जब आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ यौन संपर्क में हों, जो किसी यौन-जनित बीमारी या इंफेक्शन से पीड़ित है.
एक से अधिक व्यक्तियों और अजनबियों के साथ यौन संबंध बनाने पर इस इंफेक्शन का डर बढ़ जाता है. यदि आप किसी एक ही व्यक्ति के साथ यौन संबंध में हैं, लेकिन उसके एक से ज्यादा संबंध हैं, तो भी एसटीडी की आशंका रहती है. किसी एक ही व्यक्ति के साथ संबंध इस लिहाज से सबसे ज्यादा सुरक्षित माना जाता है.
हालांकि यौन संबंधों से होने वाले इंफेक्शन से बचने के लिए सुरक्षित सेक्स यानी कंडोम के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है. लेकिन यहां यह जानना जरूरी है कि कंडोम भी एसटीडी से बचाव की सौ प्रतिशत गारंटी नहीं है. सुरक्षित सेक्स करने के बाद भी आपको यौन-जनित संक्रमण हो सकता है.
साभार- ‘न्यूज 18’