जमात-ए-इस्लामी जम्मू एंड कश्मीर के 150 लोग हिरासत में, महबूबा ने कहा-मनमानी ठीक नहीं

उच्चतम न्यायालय में संविधान के अनुच्छेद 35 ए पर सुनवाई से पहले घाटी में व्याप्त तनाव के कारण शुक्रवार और शनिवार की दरम्यानी रात छापेमारी के दौरान करीब 150 लोगों को हिरासत में लिया गया जिसमें मुख्यरूप से जमात-ए-इस्लामी जम्मू एंड कश्मीर के प्रमुख अब्दुल हमीद फैयाज सहित इसके सदस्य शामिल हैं। हालांकि, पुलिस ने इसे नियमित प्रक्रिया करार देते हुये कहा कि कुछ नेताओं और संभावित पत्थरबाजों को हिरासत में लिया गया है। वही घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों का कहना है कि जमात-ए-इस्लामी पर यह पहली बड़ी कार्रवाई है। उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 35 ए पर सोमवार को सुनवाई होने की संभावना है जिसके तहत जम्मू कश्मीर के निवासियों को विशेष अधिकार मिले हुये हैं। संगठन पूर्व में हिज्बुल मुजाहिदीन की राजनीतिक शाखा के तौर पर काम करता था। हालांकि, उसने हमेशा खुद को एक सामाजिक और धार्मिक संगठन बताया। राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी होने के बावजूद तनाव व्याप्त है और सड़कों पर लोगों को समूहों में आते जाते देखा जा रहा है। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्द्धसैनिक बलों की 100 अतिरिक्त कंपनियां (10,000 जवान) कश्मीर घाटी भेजी गई हैं। अधिकारियों ने इस तरह की व्यापक तैनाती के बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। जमात ने एक बयान जारी कर लोगों को हिरासत में लिये जाने की निंदा की है और कहा है, ‘‘…यह कदम इस क्षेत्र में और अनिश्चितता की राह प्रशस्त करने के लिए भली-भांति रची गई साजिश है।’’ जमात ने दावा किया 22 और 23 फरवरी की दरम्यानी रात में पुलिस और अन्य एजेंसियों ने एक व्यापक गिरफ्तारी अभियान चलाया और घाटी में कई घरों पर छापेमारी की। उसके केन्द्रीय और जिला स्तर के कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया जिसमें अमीर (प्रमुख) डॉ. अब्दुल हमीद फैयाज और वकील जाहिद अली (प्रवक्ता) शामिल हैं। जमात ने उच्चतम न्यायालय में अनुच्छेद 35 ए पर एक याचिका की सुनवाई के पहले हुई छापेमारी को ‘संशय में डालने वाली’ करार दिया। इसके अलावा पुलिस ने शुक्रवार रात जेकेएलएफ प्रमुख यासिन मलिक को भी हिरासत में लिया। पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के एक काफिले पर एक आतंकी हमले में 40 जवानों के शहीद होने के आठ दिनों बाद यह कार्रवाई की गई है। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने छापेमारी की वैधता पर शनिवार को सवाल उठाते हुये कहा कि ‘मनमाने’ कदम से राज्य में ‘‘मामला जटिल’’ ही होगा। महबूबा ने ट्वीट किया, ‘‘पिछले 24 घंटों में हुर्रियत नेताओं और जमात संगटन के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। इस तरह की मनमानी कार्रवाई को समझ नहीं पा रही हूं, इससे जम्मू कश्मीर में केवल हालात जटिल ही होंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘किस कानूनी आधार पर उनकी गिरफ्तारी न्यायोचित ठहराई जा सकती है? आप एक व्यक्ति को हिरासत में रख सकते हैं लेकिन उनके विचारों को नहीं।’’ वहीं, उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूख ने जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक को हिरासत में लेने और जमात-ए-इस्लामी जम्मू एंड कश्मीर के नेताओं पर छापेमारी की निंदा की और कहा कि ‘बल प्रयोग और डराने से’ स्थिति केवल ‘खराब’ ही होगी। मीरवाइज ने ट्वीट किया, ‘‘जमात-ए-इस्लामी नेतृत्व और इसके कार्यकर्ताओं पर रात में हुई कार्रवाई और यासिन मलिक की गिरफ्तारी की कड़ी निंदा करता हूं। कश्मीरियों के खिलाफ इस तरह के गैरकानूनी और कठोर उपाय निरर्थक हैं और जमीन पर वास्तविकताएं नहीं बदलेंगी। बल प्रयोग और डराने से स्थिति केवल खराब होगी।’’ भाजपा के सहयोगी दल पीपुल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने कहा कि पूर्व में की गई कार्रवाई का कोई परिणाम नहीं निकला।