जम्मू-ओ-कश्मीर असंबली में बदनज़मी

जम्मू-ओ-कश्मीर असैंबली में अप्पोज़ीशन पीपल्ज़ डैमोक्रेटिक पार्टी (पी डी पी) और नैशनल कान्फ़्रैंस (एन सी) के दरमयान गर्मा गर्म मुबाहिस ने ऐवान में बदनज़मी की ख़राब मिसाल पेश की है। अप्पोज़ीशन का एहतिजाज हुक्मराँ नैशनल कान्फ़्रैंस के रुकन की पुलिस तहवील में मौत प्र था। वादी कश्मीर में पुलिस तहवील में अम्वात नई बात नहीं हैं। सीकोरीटी फोर्सेस के हाथों हलाकतों का मसला भी संगीन सूरत-ए-हाल से दो-चार होता रहा है। इस मर्तबा पी डी पी ने ऐवान असैंबली में कार्रवाई को मफ़लूज बनाते हुए ऐवान में हंगामा बरपा करदिया इस के रद्द-ए-अमल में स्पीकर मुहम्मद अकबर लोन को सब्र-ओ-तहम्मुल का मुज़ाहरा करने की ज़रूरत थी अप्पोज़ीशन के सीनीयर लीडर मौलवी इफ़्तिख़ार अंसारी से उलझ कर ऐवान में मौजूद पी डी पी के दीगर अरकान ख़ासकर सदर पार्टी महबूबा मुफ़्ती को मुश्तइल करदिया। जिस के नतीजा में महबूबा मुफ़्ती ने ऐवान की कार्रवाई को मुल्तवी करके तहरीक अलतवा पर ज़ोर दिया। ऐवान में नैशनल कान्फ़्रैंस के वर्कर सय्यद यूसुफ़ का मसला ही छाया रहा जिस की पुलिस तहवील में मौत से अप्पोज़ीशन को एक अहम मौज़ू हाथ लगा है। पुलिस तहवील में फ़ौत होने वाले इन सी के वर्कर यूसुफ़ का मसला ये था कि इस पर इल्ज़ाम है कि इस ने वुज़रा के ओहदों में से किसी एक क़लमदान का वाअदा किया था और दूसरे को रुकन असैंबली बनाने का तीक़न दे कर 1.18 करोड़ रुपय की रिश्वत हासिल की थी। नैशनल कान्फ़्रैंस के वर्कर ने दीगर सियासतदानों को लालच दे कर उन से रक़म हासिल की थी तो इस की बाक़ायदा तहक़ीक़ात की ज़रूरत थी। चीफ़ मिनिस्टर उम्र अबदुल्लाह ने अपनी पार्टी के वर्कर के ख़िलाफ़ की जाने वाली शिकायत का नोट लेकर यूसुफ़ के बिशमोल दीगर दो को पुलिस के हवाले के साथ बताया गया कि इस की मौत सरकारी दवाख़ाना मैं क़लब पर हमले से हुई । मगर अप्पोज़ीशन को शुबा है कि ये मौत सयासी राज़ को पोशीदा रखने का मूजिब बनी है। गुज़श्ता हफ़्ता पेश आए वाक़िया ने अप्पोज़ीशन को हुक्मराँ पार्टी के ख़िलाफ़ मोरचा बंद होने का मौक़ा दिया। चीफ़ मिनिस्टर उम्र अबदुल्लाह उस वाक़िफ़ पर एक हफ़्ता की ख़ामोशी को इस वक़्त तोड़ दिया जब अप्पोज़ीशन ने उन पर अपनी ही पार्टी के वर्कर की मौत का ज़िम्मेदार टहराया। इन की ख़ामोशी ने ही उन के ख़ाती होने का शुबा पैदा करदिया था इस लिए ऐवान असैंबली में क़ातिल को पेश करो नारे लगाते हुए अप्पोज़ीशन ने जिस तरह का शोर-ओ-गुल वहनगामा क्या इस में कुर्सी-ए-सदारत पर पंखा फेक मारना भी शामिल था। ऐवान के अंदर बदनज़मी के वाक़ियात हिंदूस्तान की रियास्तों में एक आम बात होगई है। अप्पोज़ीशन और हुक्मराँ पार्टीयों की तूफ़ानी बदतमीज़ियों से अवाम तक यही पयाम मिलता है कि क़ानून साज़ों ने दस्तूरी और जमहूरी इदारों को दंगल में तबदील करदिया है। चीफ़ मिनिस्टर उम्र अबदुल्लाह पर शुबा किया जा रहा है तो इस की तहक़ीक़ात का मुतालिबा करने के लिए दीगर कई तरीक़े हैं उम्र अबदुल्लाह ने चीफ़ जस्टिस आफ़ जम्मू-ओ-कश्मीर हाईकोर्ट की जानिब से मुक़र्रर करदा जोडीशील कमीशन का सामना करने तैय्यार होने का ऐलान किया है जिस शुबा की बुनियाद पर अदालती कमीशन क़ायम किया गया है। इस शुबा को हतमी नतीजा तक ले जाने के लिए कमीशन की तहक़ीक़ात का इंतिज़ार किया जाई। चीफ़ मिनिस्टर का कहना है कि कमीशन के ज़रीया हक़ायक़ अज़ ख़ुद सामने आयेंगी । नैशनल कान्फ़्रैंस के ताल्लुक़ से आए दिन इल्ज़ामात का तसलसुल बढ़ता जा रहा ही। हुक्मराँ पार्टी से वाबस्ता क़ाइदीन की बदउनवानीयों के संगीन इल्ज़ामात से पता चलता है कि जम्मू-ओ-कश्मीर में ज़िम्मेदार सयासी क़ाइदीन राज़ को छिपाने के लिए किसी भी हद तक गुज़रने की कोशिश कररहे हैं। वादी में आए दिन अम्वात, लापता होने के वाक़ियात किसी से पोशीदा नहीं हैं। दहश्तगर्दी से मुतास्सिरा रियासत को एक बेहतर हुक्मरानी की ज़रूरत होती है मगर हुक्मराँ तबक़ा की ख़राबियों की दिन बह दिन तशहीर होने लगे तो अच्छाई की उम्मीद ख़तन होती है। हुकूमत ने अज़ ख़ुद एतराफ़ किया है कि रियासत में 1,378 अफ़राद लापता हुए हैं। अस्करीयत पसंदी के दौर से लेकर अब तक कश्मीरीयों ख़ासकर नौजवानों की गुमशुदगी के वाक़ियात जारी हैं हरवक़त इंसानी हुक़ूक़ का मसला उठाया जाता है। हुकूमत अपने आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ लापता अफ़राद की तादाद इन इंसानी हुक़ूक़ कारकुनों की पेश करदा तादाद से बहुत कम बताई है। पूरी रियासत में 10 हज़ार अफ़राद के लापता होने का दावा करनेवाली इंसानी हुक़ूक़ की तंज़ीमों ने सिर्फ ज़िला पुलवामा में 1,378 अफ़राद के लापता होने का इद्दिआ किया है। वादी की सूरत-ए-हाल और हुकूमत की ज़िम्मेदारीयों के दरमयान अप्पोज़ीशन ने अपने हिस्सा का फ़रीज़ा अदा करने की जिस तरह की कोशिश की है इस से ऐवान असैंबली को दंगल बना देने की ज़रूरत नहीं थी। स्पीकर की जानिब से गाली गलौज के इल्ज़ामात अफ़सोसनाक हैं। स्पीकर को ऐवान के क़वाइद और तक़द्दुस का लिहाज़ रखना होता ही। अप्पोज़ीशन लीडर मौलवी इफ़्तिख़ार अंसारी को मुश्तइल करने केलिए स्पीकर पर अपनी हदों को उबूर करने का इल्ज़ाम आइद किया गया। ऐवान असैंबली एक ऐसा मुक़ाम है जिस के बतन से ही अवाम में नज़म-ओ-ज़बत का दरस फूटता है मगर इस ऐवान के ज़रीया बदनज़मी का पयाम मिले तो अवाम को मायूसी होगी वादी कश्मीर की सूरत-ए-हाल पर आम आदमी से लेकर बड़े बड़े मुबस्सिरीन दानिश्वर और तजज़िया निगारों के ज़हन में यही सवाल उठता है कि क्या इस वादी कश्मीर के क़ाइदीन ने अपनी इजतिमाई ज़िम्मेदारीयों को फ़रामोश करदिया है ?