जानिए, कैसे काम करेगा 5G?, भारत में कब तक आने की है संभावना?

फोन और कंप्यूटर में 3जी, 4जी चलाने वाले यूजर अब 5जी के इंतजार में हैं। जानते हैं 5जी आखिर क्या है और ये आपकी जिंदगी कैसे बदल देगी। मोटामोटी कहें तो 5जी के बाद आपके मोबाइल फोन में इंटरनेट 100 गुना तेजी से चलने लगेगा।

इतना ही नहीं रियल टाइम में डाटा ट्रांसफर भी संभव हो सकेगा। 5जी से मतलब है फिफ्थ जेनरेशन मोबाइल नेटवर्क, जो 2010 में आए 4जी के बाद आया है. इसे एलटीई भी कहा जाता है।

5जी दो बड़े फायदों के साथ आएगा। पहला डाउनलोड स्पीड और दूसरा डाटा ट्रांसफर। इसमें डाउनलोडिंग की स्पीड 10 गीगाबाइट प्रति सेकंड हो जाएगी, मतलब आप 5जीबी की पूरी की पूरी डीवीडी आधे सेकंड में डाउनलोड कर पाएंगे। इसके बाद अगर आप 4k वीडियो क्वालिटी (100+जीबी) में चाहते हैं तो उसे भी आप 10 सेकंड में प्राप्त कर सकते हैं।

4के एक हाई रिजॉल्यूशन डिजिटल फॉर्मेट है जिसका इस्तेमाल कमर्शियल डिजिटल सिनेमा में किया जाता है। इतना ही नहीं 5जी में वाईफाई की स्पीड भी आपको हैरान कर सकती है। वहीं डाटा ट्रांसफर जो फिलहाल लंबा वक्त ले लेता है वह भी एक सेंकड से कम में पूरा हो जाएगा। तेजी से डाटा ट्रांसफर होना नई तकनीकों मसलन ऑटोनॉमस ड्राइविंग, टेलिमेडिसिन के लिए संभावनाओं का बाजार और भी खोल सकता है।

शुरुआत में शायद इस्तेमालकर्ताओं को बहुत कुछ न मिले क्योंकि यूजरों के हाथ में अभी सही स्मार्टफोन नहीं पहुंचा हैं। 2018 में दक्षिण कोरिया में हुए शीतकालीन ओलंपिक को देखने पहुंचे लोगों ने 5जी का इस्तेमाल करने की कोशिश की थी।

लोगों ने रियल टाइम में वीडियो लेने की कोशिश की, लेकिन 4जी फोन पर 5जी को इस्तेमाल करना और फिर बफरिंग में फंसे रहना एक बड़ी समस्या बना रहा।

एक समस्या यह भी है कि आज भी ऐसे कई देश हैं जहां 4जी, 3जी जैसी तकनीक भी नहीं पहुंची हैं। वहीं कुछ ऐसे देश भी हैं जहां आज 3जी तकनीकी क्षेत्र का एक मजबूत स्तंभ है। वहीं कुछ ऐसे विकासशाल क्षेत्र भी हैं जहां 2जी अब भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है।

टेलीकॉम कंपनियों के अलावा कई और कारोबारों में यह तकनीक मददगार साबित हो सकती है। ऑटो निर्माता और कार क्षेत्र से जुड़ी कंपनियां भी इस हाईस्पीड इंटरनेट तकनीक पर हाथ आजमाने को तैयार हैं।

कार निर्माताओं की नजर से देखे तो अगर स्मार्ट ऑटोनॉमस गाड़ियां स्वयं ही ट्रैफिक जाम और रास्तों की भीड़भाड़ की जानकारी दें, तो कंपनियों को इससे बहुत फायदा होगा।

निर्माता मशीन के साथ तालमेल बैठाकर इस तकनीक के जरिए बेहतर से बेहतर नतीजे प्राप्त करना चाहते हैं। लॉजिटिक सेक्टर के लिए भी यह किसी बड़ी मदद से कम नहीं होगा।

जर्मनी दुनिया भर में इंटरनेट स्पीड और मोबाइल इंटरनेट के मामले में काफी पीछे है। यह देश अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति बेहतर करने के लिए 5जी बतौर लॉन्चपैड इस्तेमाल कर सकता है, लेकिन यह बिल्कुल आसान नहीं है।

साल 2018 की शुरुआत में, मोबाइल एलटीई तकनीक जर्मनी के 65 फीसदी इलाके में ही उपलब्ध थी। वहीं दक्षिण कोरिया में एलटीई कवरेज तकरीबन 97 फीसदी है। आज भी जर्मनी के ग्रामीण इलाके 3जी और 2जी पर ही भरोसा करते हैं। इसलिए उपभोक्ता एजेंसियां और उद्योग क्षेत्र पूरी तरह 5जी कवरेज की मांग करते हैं।

मार्च 2019 तक दक्षिण कोरिया 5जी का इस्तेमाल पूरे देश में शुरू कर देगा। तीन बड़े टेलीकॉम ऑपरेटर इस सेवा को लॉन्च करने के लिए दक्षिण कोरिया में दिन-रात काम कर रहे हैं।

उस वक्त तक शायद जर्मनी मोबाइल फोन ऑपरेटरों को ये फ्रीक्वन्सी बेचना शुरू कर देगा। द यूनाइटेड स्टेट्स फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन (एफसीसी) जल्द ही इस 5जी तकनीक को बेचना शुरू कर देगा। दक्षिण कोरिया के बाद चीन और जापान 5जी की रेस में सबसे आगे हैं।

साभार- ‘डी डब्ल्यू हिन्दी’