जानिए, मोहम्मद कैफ़ ने क्यों कहा- प्राइम टाइम के कितने पत्रकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हैं?

भारतीय क्रिकेट में जाति आधारित व्यवस्था की बात करने वाले एक न्यूज पोर्टल को पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद कैफ ने करारा जवाब दिया है। सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर मोहम्मद कैफ ने इस पोर्टल को जवाब देते हुए लिखा कि – प्राइम टाइम के कितने पत्रकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हैं और आपके संगठन में कितने वरिष्ठ एडिटर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हैं?

कैफ ने आगे लिखा कि खेल ही एक ऐसा क्षेत्र है जहां जाति आधारित सभी सीमाओं को सफलतापूर्वक तोड़ दिया गया है। खिलाड़ी मिलजुल कर खेलते हैं। लेकिन हमारे पास ऐसी पत्रकारिता है जो नफरत फैलाती है। मोहम्मद कैफ की यह कड़ी टिप्पणी एक न्यूज पोर्टल के उस आलेख के बाद आई है जिससे भारतीय क्रिकेट में रिजर्वेशन को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है।

दरअसल एक न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ ने अपने आलेख में इस बात का जिक्र किया है कि बीते 86 सालों में 290 खिलाड़ियों ने भारतीय टीम के लिए टेस्ट मैच खेला है। इसमें से सिर्फ 4 ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखते हैं। जबकि देश की जनसंख्या के अनुपात में यह संख्या 70 होनी चाहिए। न्यूज पोर्टल के आलेख में इसे एक ऐसी असमानता बतलाया गया है जिसे खारिज नहीं किया जा सकता।

पोर्टल ने अपने आलेख में दक्षिण अफ्रीका का उदाहरण दिया है। आलेख में कहा गया है कि जिस तरह से साउथ अफ्रीका में अश्वेत खिलाड़ियों को समान मौका देने के लिए क्रिकेट में गैर-व्हाइट खिलाड़ियों के लिए कोटा शुरू किया गया। ऐसा भारत में भी किया जा सकता है। आलेख में कहा गया है कि हम अगर ऐसा करना चाहें भी तो हमारे पास खिलाड़ियों की सामाजिक-आर्थिक बैक ग्राउंड के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध नहीं है।

आपको बता दें कि मोहम्मद कैफ सोशल मीडिया पर बेबाकी से अपनी बात रखने के लिए जाने जाते हैं। इसी महीने सोशल साइट पर हिंदू-मुसलमान के बीच नफरत फैलाने वाले एक ट्वीट पर भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कैफ ने लिखा था कि ‘लगा दो जाति का लेबल लहू की बोतल पर भी देखते हैं…कितने लोग रक्त लेने से मना करते हैं’। उस वक्त कुछ लोगों ने सोशल साइट पर मुसलमानों को हज पर जाने से रोकने की बात कही थी। जिसपर मोहम्मद कैफ ने यह प्रतिक्रिया दी थी।