टी आर एस की यौम तासीस और वायदे

तेलंगाना मैं क़ियादत का किरदार एहमीयत रखता है। तेलंगाना राष़्ट्रा समीती की क़ियादत के किरदार पर उंगलियां उठाने वालों ने अलैहदा रियासत तेलंगाना के हुसूल में नाकामी के हवाले से बहुत कुछ तन्क़ीदें की हैं। ताहम टी आर एस ने अपने क़ियाम के 11 साल पूरे कर लीयें हैं।

यौम तासीस के मौक़ा पर पार्टी के सरबराह ने फिर एक बार अपने अह्द का इआदा किया है कि अगर अलैहदा रियासत तशकील पाती है तो टी आर एस की जानिब से मुसलमानों को 12 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात दिए जाऐंगे और इलाक़ा के ओक़ाफ़ी जायदादों का तहफ़्फ़ुज़ किया जाएगा। इस तरह के वायदे ख़ुशकुन होते हैं और काबिल-ए-तारीफ़ भी।

मुसलमान और दीगर तब्क़ात को अलहदा रियासत तेलंगाना में कितने फ़वाइद हासिल होंगे ये तो वक़्त ही बताएगा।फ़िलहाल इलाक़ा के मुस्लमानों और यहां की ओक़ाफ़ी जायदादों से मुताल्लिक़ मसाएल जिन मुश्किल सब्र आज़मा हालात से दो चार हैं उन पर फ़ौरी तवज्जा नहीं दी जा रही है।

बरसों से अहल तेलंगाना अपने लिए अलैहदा रियासत के ख़ाहां हैं। मर्कज़ में आने वाली हर पार्टी की हुकूमत ने इस मसला को टाल दिया।गुज़शता पाँच दहों के दौरान क्या हुआ, इससे आज की नस्ल भी वाक़िफ़ हो चुकी है। इलाक़ाई पार्टीयों ने अपने मतलब के मुतालिबा तक ही ख़ुद को महिदूद रखा जिस से इलाक़ाई सतह पर सरकारी निज़ाम और इंतिज़ामी ढाँचे की जड़ें खोखली कर दी गईं इसका ख़राब असर तेलंगाना के अवाम ही पर पड़ा है।

टी आर एसके सरबराह चन्द्र शेखर राव अपनी पार्टी की यौम तासीस मनाते हुए फिर एक मर्तबा अहद कर चुके हैं कि वो तेलंगाना के हुसूल के लिए अपनी जद्द-ओ-जहद में शिद्दत लायेंगे और तेलंगाना मसला हल करने टी आर एस को एक मुतबादिल सयासी ताक़त बनाया जाएगा।

लेकिन सवाल ये है कि तेलंगाना के लिए वो जिस बाग़ की शिचाई कर रहे हैं इसके अतराफ़ कोई बाड़ ना हो तो फिर ये बाग़ वक़्त के सयासी सैलाब की नज़र हो जाएगा। इसमें शक नहीं कि चन्द्र शेखर राव ने अपनी शख़्सियत की वजह से तेलंगाना के अवाम में यक़ीन पैदा करने में कामयाबी हासिल करने की कोशिश की है।

इस यक़ीन की वजह से टी आर एस को इलाक़ा में ग़लबा हासिल है। मगर इस ग़लबा का हक़ीक़ी फ़ायदा तो उस वक़्त होगा जब मर्कज़ी हुकूमत अलैहदा रियासत कि तश्कील का फैसला करे वक़्त गुजरने से इलाके के आवाम खुसूसन गरीब तब्कात कॆ लोग इनकी पार्टी से शख्त नाराज़् होते जा रहे है‍.