टोक्यो 2020 ओलंपिक : इलेक्ट्रॉनिक कचरे से क़ीमती धातुएं निकाल कर मेडल तैयार करने में जुटी जपान

टोक्यो 2020 ओलंपिक के आयोजकों ने तय किया है कि वो इन खेलों के मेडल ‘अर्बन माइनिंग’ से मिली धातुओं से तैयार करेंगे. बता दें कि टोक्यो 2020 ओलंपिक में क़रीब 5000 मेडल दिए जाने हैं.इसके लिए आयोजन समिति इलेक्ट्रॉनिक कचरे से क़ीमती धातुएं निकाल कर, सोने, चांदी और कांसे के मेडल तैयार करने में जुटी है. यानी दुनिया का सबसे प्रतिष्ठित खेलों का मेडल कचरे से तैयार होगा.

योजन समिति ने जापान के लोगों से अपील की है कि वो बेकार इलेक्ट्रॉनिक सामान का दान करें. इस तरह जापान के लोग अपने भुला दिए गए इलेक्ट्रॉनिक सामान को घर से निकालेंगे और इसका फिर से इस्तेमाल होगा. टोक्यो ओलंपिक आयोजन समिति के प्रवक्ता मासा टकाया ने बताया कि आयोजन समिति अपनी ज़रूरत के कुल सोने का 54.5 प्रतिशत और ज़रूरी चांदी का 43.9 प्रतिशत हासिल कर चुकी है. कचरे को अब क़ीमती धातुओं की खदान के तौर पर भी देखा जा रहा है, और जापान ने इसकी मिसाल पेश कर दी है.

वैसे, ये पहली बार नहीं है कि ओलंपिक खेलों के मेडल फिर से इस्तेमाल होने लायक़ चीज़ों से बने हों. 2016 के रियो ओलंपिक के दौरान 30 फ़ीसद चांदी जो मेडल बनाने में इस्तेमाल हुई थी, वो फेंक दिए गए आईनों, बेकार पड़े टांकों और एक्स-रे प्लेट से निकाले गए थे.

रियो ओलंपिक के कांसे के मेडल बनाने में इस्तेमाल हुआ 40 प्रतिशत तांबा टकसाल के कचरे का था. 2010 के वेंकूवर विंटर ओलंपिक खेलों के मेडल बनाने में 1.5 प्रतिशत रिसाइकिल किया हुआ सामान इस्तेमाल हुआ था. ये सामान बेल्जियम से आया था.