राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने केरल के स्कूल में ज़िला प्रशासन की आदेश की अवहेलना करते हुए झंडा फ़हराया है.
जिलाधिकारी पी मैरीकुट्टी ने बीते रविवार को आदेश दिया था कि किसी भी सहायता प्राप्त संस्थान में स्कूल प्रशासन का अधिकारी, शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी या चुने हुए जन प्रतिनिधि ही झंडा फ़हरा सकते हैं.
मैरी कुट्टी ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, “हमने नियमों के पालन के लिए सभी स्कूलों के लिए आदेश जारी किया था. इस स्कूल के लिए अलग से आदेश जारी नहीं किया गया था. चूंकि, इस आदेश का पालन नहीं किया गया है ऐसे में हमने पुलिस से कार्रवाई करने को कहा है.” बीजेपी की ओर से ‘आरएसएस को झंडा फ़हराने से वंचित रखने के लिए’ ज़िलाधिकारी की कड़ी निंदा की गई है.
बीजेपी नेता और केरल बीजेपी के पूर्व अध्यक्ष वी मुरलीथरन ने पालक्कड़ ज़िला प्रशासन के इस फ़ैसले को सीपीएम के नेतृत्व वाली सरकार की असहिष्णुता क़रार दिया है जो आरएसएस से जुड़ी किसी भी तरह की चीज़ को बर्दाश्त नहीं कर सकती और आरएसएस को ग़लत छवि के साथ दिखाना चाहती है. वी मुरलीथरन ने कहा, “कोई भी सम्मानीय व्यक्ति झंडा रोहण कर सकता है. स्वाधीनता सेनानियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी झंडा फ़हराया है. चूंकि, स्कूल प्रशासन के कई सदस्य आरएसएस से जुड़े हैं, इसलिए स्कूल ने भागवत जी को झंडा फ़हराने के लिए बुलाया था.” मोहन भागवत ने केरल में आरएसएस और सीपीएम के बीच हिंसक वारदातों के बाद केरल की यात्रा की है.