नई दिल्ली। डोकलाम विवाद पर जारी गतिरोध के बीच भारत अब चीन से दो-दो हाथ करने को तैयार है। पहले विवाद को सुलझाने के लिए कुटनीतिक कोशिश की गई। फिर सेना के स्तर पर भी चीन को भरोसे में लेकर विवाद खत्म करने की पहल की गई लेकिन ड्रैगन अपनी नापाक रूख से पीछे नहीं हट रहा है।
विवाद सुलझाने की लगातार कोशिशों के बाद अब भारत ने भी चीन को सबक सिखाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए जहां डोकलाम में भारतीय सैनिक डटे हुए हैं वहीं दूसरी ओर चीन से लगे 14 सौ किलोमीटर की लंबी बॉर्डर की सुरक्षा की भी पुख्ता तैयारी की जा रही है जिसके लिए खास तौर से ‘प्लान 45 हजार’ बनाया गया है।
चीन के इस अड़ियल रूख के बाद भारत ने भी जोर देकर साफ कहा है कि जब तक चीन सड़क निर्माण के औजार नहीं हटाता, तब तक सेना के वापस हटने का सवाल नहीं उठता। बता दें कि 8 अगस्त को भी दोनों देशों के बीच ब्रिगेड कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी लेकिन इस बातचीत में भी कोई फैसला नहीं लिया जा सका।
चीन के इस रूख को देखते हुए माना जा रहा है कि इस विवाद का इतनी आसानी से समाधान नहीं निकलेगा। लिहाजा भारत ने भी अपनी कमर कस ली है। विवाद को देखते हुए भारत ने सिक्किम और अरुणाचल से लगी चीन सीमा पर सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है।
भारत-चीन सीमा की ईस्टर्न थियेटर की सुरक्षा के लिए अरुणाचल और असम में तैनात 3 और 4 कॉर्प्स के जवानों के साथ सेना की सुकना स्थित 33 कॉर्प्स को भी हाई अलर्ट पर नो वॉर नो पीस मोड में रखा गया है। चीन के आक्रामक रूख को देखते हुए भारत ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है।
किसी भी हालत से निपटने के लिए डोकलाम में भारत के 350 जवान पोजिशन संभाले हुए हैं। रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक अनुमानित रूप से 45 हजार जवानों ने वेदर एक्लीमेटाइजेशन प्रोसेस को पूरा किया है।