ड्रोन से काबू होंगे फैक्ट्रियों के हादसे

सनअति इलाकों में लगी आग, गैस रिसाव या किसी भी हंगामी सुरते हाल में जाये हादसा पर किस तरह का माहौल है? आगजनी के बाद उस जगह पर किस गैस का कितना असर है? जाये हादसा के पास का दर्जे हरारत कितना है? इसे जानकर हादसों को काबू करना आसान होगा। टिनप्लेट कंपनी के आठ मुलाज़िमीन ने अल्ट्रासोनिक सेंसर व कैमरे से लैस फायर फ्लाइंग मशीन ‘ड्रोन’ तैयार की है। यह फौरन ऐसी तमाम जानकारियां कंपनी इंतेजामिया को मुहैया कराएगा। हादसा वाले मुकाम की ताजा जानकारी जल्द से जल्द सेफ्टी और फायर डिपार्टमेंट तक पहुंचेगी।

अक्सर देखा गया है कि इंडस्ट्रियल इलाकों में वाकेय किसी भी हादसा के बाद सुरते हाल की जायजा लेने में सबसे ज्यादा वक़्त बीत जाता है है। इससे छोटी सी हादसा भी बचाव काम में देरी की वजह होती है।

फायर फ्लाइंग मशीन ड्रोन में अल्ट्रासोनिक, टैम्प्रेचर और ह्यूमिडिटी तथा गैस सेंसर लगाए गए हैं। ये आलात हादसा वाली जगह का दर्जे हरारत।, सीओ-2, एलपीजी, मिथेन, ईथेन, कार्बन डाईऑक्साइड समेत दीगर गैसों की मिक़दार की पूरी जानकारी कैमरे और सेंसर के जरिये कंट्रोल रूम को पहुंचाएगा। इसके लिए ड्रोन में 12 के-आरएमपी के छह मोटर लगाए गए हैं। साथ ही फ्लाइट कंट्रोल के लिए नासा जैसी तकनीक लगाई गई है, जो किसी भी ऊंचाई या सिम्त में आसानी से उड़ान भर सकता है।

टिनप्लेट कंपनी के मुलाज़िमीन ने इस ड्रोन को ट्रेड एक्सपो-2015 में डिस्प्ले किया था। वहां इसे टाटा स्टील के मैनेजमेंट डाइरेक्टर टीवी नरेंद्रन और टाटा स्टील यूरोप के सीईओ और इंतेजामिया कार्ल कोहलर से तारीफ मिल चुकी है।