तालीमी निसाब में रुहानी इक़दार शामिल करना ज़रूरी : अडवानी

वरकला (केरला), 31 दिसम्बर: सीनीयर बी जे पी लीडर एल के अडवानी ने आज हमारे मुल्क के संतों और गुरु की तालीमात को तालीमी निसाब में शामिल करने की वकालत की ताकि नौजवानों में रुहानी इक़दार ज़हन नशीन कराया जा सके। समाजी मुसल्लेह सिरी ना रावना गुरु के यहां क़ायम करदा सेवा गेरी मठ में 80 वीं यात्री इजतेमा का इफ़्तिताह करते हुए अडवानी ने तमाम सतह की हुकूमतों से ख़ाहिश की कि संत। फ़लसफ़ी शख़्सियतों जैसे ना रावना गुरु, श्रि राम कृष्णा परम हमसा और स्वामी यक्का नंद के पयामात को स्कूली अस्बाक़ में शामिल करने के इक़दामात करें।

अडवानी ने कहा कि तालीमी निसाब की तारीख़ को हुकमरानों और जंगी सोरमाओ की तालीमात तक महिदूद नहीं होना चाहीए। इस में मुलक के अज़ीम संतों और गुरु के पयामात भी शामिल होने चाहिऐं। केरला हुकूमत और चीफ़ मिनिस्टर ओमन चंडी की ना रावना गुरु की तालीमात को आइन्दा तालीमी साल से स्कूली निसाब में शामिल करने पर सताइश करते हुए अडवानी ने कहा कि ये इस मुल्क में तालीम को फ़रोग़ देने का सही तरीक़ा है।

मर्कज़ को भी उस की तक़लीद करना चाहीए। ये बयान करते हुए कि गुरु का पयाम बराए ज़ात पात निहायत अहम है, अडवानी ने कहा कि जहां तक बनीनौ इंसान या इंसानियत का मुआमला है ज़ात पात या नसल कोई तक़सीम-ए-कार अंसर नहीं होना चाहीए। बी जे पी लीडर ने मज़ीद कहा कि मख़लूक़ की इस्तलाहों में सोचें तो आप किसी शख़्स से ज़ात पात या नसल की असास पर इमतियाज़ नहीं बरत सकते। कोई फ़र्द हिंदू

होसकता है, ईसाई या मुस्लिम। ये बात कि नसल या ज़ात पात इंसानियत के सामने कोई तक़सीम-ए-कार अंसर नहीं होसकते, ये उन्हें एक दूसरे से अलहदा नहीं करते हैं। जहां तक इंसानियत का मुआमला है असल चीज़ यही है कि वो इंसान कितना भला है। मर्कज़ी वज़ीर समुंद्र पार हिंदूस्तानी उमूर वीलार रवी जिन्होंने सदारत की, उन्होंने कहा कि वो मुल्क के तालीमी निसाब में ना रावना गुरु की तालीमात को शामिल करने का मसला वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह के इल्म में लाएंगेगे।