तीन तलाक पर जेटली का फेसबुक पोस्ट, पर्सनल लॉ संविधान के दायरे में होने चाहिए

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने समान नागरिक संहिता और तीन तलाक की प्रथा के मुद्दे पर आज कहा है कि पर्सनल लॉ संविधान के अनुसार ही होना चाहिए और तीन तलाक को भी बराबरी के अधिकार और सम्मान के साथ रहने के पैमाने पर ही परखा जाना चाहिए।

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न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार श्री जेटली ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर लॉ आयोग की प्रश्नावली का जवाब देने के फैसले और तीन तलाक के मामले में छिड़ने वाली बहस पर आज फेसबुक पर ‘तीन तलाक और सरकार का हलफनामा’ शीर्षक से अपनी पोस्ट में कहा कि समुदायों के विकास के साथ लैंगिक समानता के बारे में समझ बहुत विकसित हुई है और सभी नागरिकों, विशेष रूप से महिलाओं को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है।

उन्होंने सवाल उठाया है कि हर नागरिक के जीवन पर प्रभाव डालने वाले पर्सनल नियमों को क्या समानता और सम्मान के साथ रहने के संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप नहीं होना चाहिए। छह दशक पहले ही इस रूढ़िवादी विचार को न्यायिक समर्थन मिल गई थी कि निजी गारंटी के बिना पर्सनल लॉ असंगत हो सकते हैं लेकिन आज इस प्रस्ताव को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। तीन बार तलाक पर सरकार के हलफनामे में यह अनुमान शामिल है।