तीन महीने का वक़्त मिले तो लागू करेंगे तमाम फैसले : मांझी

साबिक़ वजीरे आला जीतन राम मांझी ने कहा कि सीएम बनने के बाद मुङो अपनी ताक़त का एहसास नहीं था। हनुमानजी की तरह जब मुङो ताक़त का एहसास हुआ, तब मैंने बिना डरे काम करना शुरू किया। हनुमान जी की तरह जब मैंने दरिया पार कर लिया तो लोग बौखला गये। लोग कहते हैं कि जाते वक्त आखिरी वक़्त मैंने आनन-फानन में दीगर फैसले लिये। लेकिन अगर मुङो तीन माह का मौका मिले तो मैं अपने कैबिनेट में लिये गये तमाम फैसलों को जमीन पर उतार दूंगा।

अगर नहीं कर सका तो सियासत से रिटाइरमेंट ले लूंगा। वे जुमा को बिहार रियासत वकील यूनियन के बैनर तले जिला वकील यूनियन पटना में हुए विचार गोष्ठी को खिताब कर रहे थे। किसी भी इंकलाब के लिए जरूरी है कि उसमें मिडिल तबके के लोग शामिल हो। वकील और प्रोफेसर इस मीडियम से तबके के नुमायंदे । हुकूमत में जो भी मंसूबे बनती हैं, उसमें गरीबों के हित की बात तो की जाती है। लेकिन हकीकत में वे सिर्फ नारा ही रह जाते हैं।

मंसूबों की रकम गरीबों तक पहुंचे, इस पर संजीदगी से गौर करने की जरूरत है। मैं गरीबी में पैदा हुआ और गरीबी में ही पला-बढ़ा हूं। गरीबों का दर्द मेरे खून में है। गरीबों की मसायलों से कोई समझौता नहीं करूंगा।