तीवनस में नुमायां तबदीली

तीवनस में अवामी इन्क़िलाब के बाद मुनाक़िदा आम इंतिख़ाबात में इस्लाम पसंद पार्टी की शानदार कामयाबी से उन लोगों के अज़ाइम को धक्का ज़रूर पहूँचा होगा जो आलिम अरब में तहरीकात के उभरने से दिल है दिल में ख़ुश हो रहे थी। अवामी इन्क़िलाब के बाइस 3 दहों से हुक्मरानी करने वाले ज़ीन इला बदीन अली को मजबूरन इक़तिदार से दस्त कश होकर बैरून-ए-मुल्क में पनाह लेना पड़ा ।

तीवनस को इस लिए भी एहमीयत हासिल है क्योंकि यहां के अवाम ने एक ठेला रां नौजवान को थप्पड़ रसीद करने के वाक़िया के ख़िलाफ़ सदाए इन्क़िलाब बुलंद किया था और ये एहतिजाज देखते ही देखते इक़तिदार की ऐवानों की ईंट से ईंट बजा दी थी। अब शुमाली अफ़्रीक़ी मलिक के अवाम ने अपनी पसंद और राय के ज़रीया इस्लाम पसंद पार्टी को मुंतख़ब किया है।

आमिरीयत के दौर से निकल कर यहां के अवाम को एक मुंतख़ब हुकूमत की राह हमवार करने केलिए 10 माह दरकार हुई। इस्लामी अलनहज़ा जमात को 217 रुकनी ऐवान में 90 नशिस्तों पर कामयाबी मिली जो एक नया दस्तूर बनाने में अहम रोल अदा करेगी। इस जमात की अहम ज़िम्मेदारीयों में नए दस्तूर की तदवीन के साथ उबूरी हुकूमत को तशकील देना और ताज़ा पारलीमानी-ओ-सदारती इंतिख़ाबात करवाना है।

 

एक साल के अंदर उस को अपनी सयासी ख़ूबीयों का मुज़ाहरा करते हुए साबिक़ हुक्मराँ ज़ीन इला बदीन अली के दौर में हुई ख़राबियों को दूर करना भी इस की ज़िम्मेदारी समझी जा रहै है। इस्लामी जमात अलनहज़ा को ज़ीन इला बदीन की हुकूमत में ममनूआ जमात क़रार दिया गया था। मगर इन्क़िलाब के रास्ते अवाम के दिलों में अपनी जगह पैदा करने में कामयाब होगई। तीवनस की दीगर सयासी पार्टीयों में बाएं बाज़ू की कांग्रेस बराए जमहूरीया को 30 नशिस्तें हासिल हुई हैं। मर्कज़ी बाएं बाज़ू नज़रियात की पार्टी अटका नवल को 21 नशिस्तें मिली हैं।

तीवनस के इंतिख़ाबात की एक ख़ूबी ये थी कि 90 फ़ीसद राय दहिंदों ने अपने हक़ वोट का इस्तिमाल किया। लोगों में जोश-ओ-ख़ुरोश और नई ज़िंदगी की शुरूआत की ख़ाहिश को वाज़िह तौर पर नोट किया गया। तीवनस के नताइज ने दीगर अरब मुल्कों में भी अवाम के अंदर उम्मीद पैदा करदी है ख़ासकर अवामी इन्क़िलाब का दूसरा बड़ा अरब मुल्क मिस्र भी 28 नवंबर को इंतिख़ाबात के तजुर्बा से गुज़रेगा। तीवनस कई बरसों से कम शरह पैदावार और दीगर तर कुयात के शोबा में कमज़ोर मुज़ाहरा से दो-चार रहा है। इस मुल्क का माली ख़सारा नई पार्टी केलिए एक अहम चैलेंज साबित होगा।

वैसे अलनहज़ा के सरबराह राशिद ग़नोशी ने अपनी पार्टी के मक़ासिद को ब्यान करते हुए तीवनस को तरक़्क़ी की राह पर ले जाने का अह्द किया है। इन की सोच से फ़िक्रमंद सैकूलर ज़हन की हामिल पार्टीयों और क़ाइदीन को उन्हों ने यक़ीन दिलाया है कि इन की पार्टी सैकूलर अज़म के उसूलों पर अमल करेगी और जिन्सी मुसावात को एहमीयत देगी। शहरीयों के दरमयान इमतियाज़ी सुलूक को हरगिज़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ये बात काबिल-ए-ग़ौर है कि तीवनस में साबिक़ हुक्मराँ की बेदखली शहरीयों के साथ इमतियाज़ी सुलूक भी एक वजह थी।

इमतियाज़ात से पाक माहौल फ़राहम करने केलिए नई हुकूमत ने तीवनस इन्क़िलाब के मक़ासिद को रूबा अमल लाने का अह्द किया है तो इस से अवाम में पाया जाने वाला अंजान ख़ौफ़ दूर होने की तवक़्क़ो की जा सकती है। अवाम ने जिस मक़सद केलिए इन्क़िलाब बरपा किया था इस के हुसूल की राह और मंज़िल क़रीब पहूंच चुकी है। तीवनस को आज़ाद मुलक बनानी, ख़ुशहाली और तरक़्क़ी की राह पर ले जाना ही अवाम की ख़ाबों की हक़ीक़ी ताबीर होगी। तीवनस को हर एक का मुलक क़रार देने वाले अलनहज़ा पार्टी के सरबराह ग़नोशी को जमहूरीयत और सैकूलर अज़म से अटूट वाबस्तगी का अमली मुज़ाहरा करने की ज़रूरत होगी।

दानिशमंदाना और हक़ीक़त पसंदाना रोल अदा करते हुए अवाम को एक बेहतर हुकूमत फ़राहम की जाय तो तारीक दिनों की तल्ख़ यादें क़िस्सा पारीना बन जाएंगी। आम इंतिख़ाबात में अपनी शानदार कामयाबी के बावजूद अलनहज़ा को एक मज़बूत हुकूमत तशकील देने केलिए दीगर पार्टीयों से इत्तिहाद करना होगा ताकि इन्क़िलाब की लहरों से उठ कर आने वाले नए तीवनस में कोई स्याह फ़ोर्स या नाराज़ ताक़त ना अभरसकी। तीवनस कवी फ़िलहाल नाराज़गियों और इख़तिलाफ़ात से पाक हुकूमत की ज़रूरत है।

एक ऐसी हुकूमत जो आलमी उसूलों को इख़तियार करते हुए अपने अवाम की फ़लाह-ओ-बहबूद के काम अंजाम दे अवाम को तरक़्क़ी देने एक अहम ज़रीया बैरूनी सरमाया कारी है। तीवनस में दीगर मुल्कों के सरमाया कारी के मवाक़े पैदा करना और ज़्यादा से ज़्यादा रक़ूमात के बहाॶ को यक़ीनी बनाया जाय तो बेरोज़गारी और दीगर मसाइल ख़तम होंगी। तीवनस के तजुर्बा के आईना में मिस्र के अवाम को भी अपनी जमहूरी राह को वुसअत और कुशादा करने का मौक़ा मिल रहा है। किसी भी मलिक के अवाम की ख़ुशहाली का बुनियादी राज़ शरह पैदावार में पोशीदा होता है। इस के इलावा ग़ुर्बत का ख़ातमा रोज़गार के मवाक़े, इफ़रात-ए-ज़र की शरह को कम करदिया जाई।

सरमाया कारी सिर्फ इस सूरत में ताक़तवर होसकती है जब एक इन्क़िलाब पसंद अवाम की इस्लाम पसंद पार्टी की पालिसीयां भी मज़बूत हूँ। लिहाज़ा अलनहज़ा को अपनी पालिसीयों में माक़ूलीयत पसंदी को तर्जीह देनी होंगी। मार्किट में एक मुसबत रुजहान का माहौल पैदा करना। अवाम को सस्ती अशीया की दस्तयाबी को यक़ीनी बनाना बह अलफ़ाज़ दीगर अवाम को नई हुकूमत की पालिसीयों और इस इस्लाम पसंद पार्टी के लीडरों की दूर अंदेशी और सलाहैयतों पर कामिल एतिमाद होना चाहीए जिस के नतीजा में गुज़श्ता कई बरसों से आमिरीयत की गोद में मफ़लूज होजाने वाले तीवनस का मुस्तक़बिल रोशन होगा।

मआशी सरगर्मीयों को बुलंदीयों तक पहूँचाते हुए अपने इंतिख़ाबी मक़ासिद को रूबा अमल लाना इस्लाम पसंद जमात के साथ दीगर पार्टीयों की भी ज़िम्मेदारी है। इस्लाम पसंदों को एतिदाल पसंदी का मुज़ाहरा करते हुए अपने अवाम को एक नई सुबह से हमकनार करना होगा।