तेलंगाना को पानी की क़िल्लत से छुटकारा दिलाने का अज़म:केसीआर

हैदराबाद 01 अप्रैल चीफ़ मिनिस्टर केसीआर ने कहा कि तेलंगाना को तनाज़आत या बुलंदी नहीं पानी चाहीए। आंध्रई हुकमरान खास्कर राज शेखर रेड्डी ने मुनज़्ज़म साज़िश के तहत तेलंगाना में आबपाशी प्रोजेक्टस को पड़ोसी रियासतों के साथ तनाज़आत का शिकार बनादिया और माहौलियाती मंज़ूरियों के मुआमले में पेचीदा बनादिया।

तेलंगाना हुकूमत आइन्दा पाँच साल में एक करोड़ एकऱ् अराज़ी को काबिले काशत बनाएगी, हक़ायक़ का सामना करने के बजाये कांग्रेस और तेलुगू देशम ने असेंबली में राह-ए-फ़रार इख़तियार की है। आबपाशी प्रोजेक्टस की री डिज़ाइनिंग पर चीफ़ मिनिस्टर तेलंगाना केसीआर ने तक़रीबन 3 घंटों तक असेंबली में पावर प्वाईंट प्रेजेंटेशन पेश करते हुए तेलंगाना की ख़ुशकसाली, पानी ना मिलने के अलावा हुकूमत तेलंगाना के मन्सूबों को पेश किया।

एवान असेंबली में बहुत बड़े स्क्रीन लगाए गए थे। गयालरीज़ में चंद अरकाने असेंबली के अलावा मुख़्तलिफ़ मह्कमाजात के आला ओहदेदार मौजूद थे। चीफ़ मिनिस्टर ने आबपाशी प्रोजेक्ट्स पर हुकूमत की पालिसी के बारे में तफ़सीली रोशनी डालते हुए कहा कि तेलंगाना नई रियासत तशकील पाई है।

तेलंगाना से माज़ी में जो नाइंसाफ़ीयां हुई हैं और मुस्तक़बिल में क्या इक़दामात किए जानेवाले हैं, इस को वो रिकार्ड में लाने के मक़सद से असेंबली में पावर प्वाईंट प्रेजेंटेशन कर रहे हैं। काकतीय हुकमरानों और क़ुली क़ुतुब शाह और आसिफ़ जाहि हुकमरानों ने तेलंगाना को सरसब्ज़-ओ-शादाब बनाने के लिए आबपाशी प्रोजेक्टस के साथ साथ बड़े पैमाने पर तालाबों का इंतेज़ाम किया था। 1956 में मुत्तहदा आंध्र प्रदेश की तशकील तक तेलंगाना में 20 लाख एकर अराज़ी पर काशत हुई थी और 75 हज़ार छोटे बड़े तालाब थे, आंध्रई हुकमरानों ने हमेशा आंध्र के मुफ़ादात को एहमीयत दी तेलंगाना को नजरअंदाज़ कर दिया। फ़िलवक़्त तेलंगाना में सिर्फ 20 लाख एकर अराज़ी पर काशत हो रही है और 46 हज़ार तालाब बाक़ी हैं।

वो तमाम रुकावटों को दूर करते हुए डिज़ाइन तबदील करेंगे। ज़रूरत पड़ी तो अपनी जान की क़ुर्बानी देने से भी गुरेज़ नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि तेलंगाना के मुफ़ादात का तहफ़्फ़ुज़ करने के लिए अप्पोज़ीशन की तरफ से हुकूमत को तजावीज़ पेश करते हुए तआवुन करने की बजाये झूटे और बे-बुनियाद इल्ज़ामात आइद किए जा रहे हैं, अदालतों से रुजू हो रहे हैं और हुडको को क़र्ज़ देने से इनकारकरने के लिए मकतूब रवाना कर रहे हैं। उन्हें रुकावटों की परवाह नहीं है। वो आगे बढ़ते रहेंगे।