तेलंगाना मसला पर दिल्ली सरगर्मीयां उरूज पर

हैदराबाद। ‍‍‍‍३१जुलाई (सियासत न्यूज़) किया मर्कज़ी हुकूमत अलैहदा तलंगाना मसला की यकसूई में संजीदा ही, और क्या 15 सितंबर से क़बल इस मसला पर कोई क़तई फ़ैसला किया जाएगा? नई दिल्ली और आंधरा प्रदेश के सयासी हलक़ों में ये सवाल इन दिनों गशत कर रहा है।

सदर जमहूरीया के ओहदा के लिए परनब मुकर्जी को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद कांग्रेस पार्टी ने क़ौमी सतह पर तलंगाना मसला की यकसूई का तीक़न दिया था और नई दिल्ली में इस सिलसिले में अचानक सरगर्मीयों का आग़ाज़ होगया। कांग्रेस आला कमान ने कई क़ाइदीन को जिन का ताल्लुक़ रियासत के मुख़्तलिफ़ इलाक़ों से है, तलब करते हुए उन की राय हासिल की थी। ऐसा महसूस होरहा था कि परनब मुकर्जी के सदर जमहूरीयामुंतख़ब होने के बाद मर्कज़ी हुकूमत तलंगाना मसला की यकसूई के अमल को आगे बढ़ाएगी, लेकिन अब ऐसा दिखाई नहीं दे रहा ही।दिल्ली में तलंगाना के हक़ में जारी सरगर्मीयां अचानक मानद पड़ गईं।

कांग्रेस के तेलंगाना क़ाइदीन और टी आर ऐस क़ाइदीन अगरचे 15 सितंबर से क़बल मर्कज़ की जानिब से किसी फ़ैसला के बारे में पुरउमीद नज़र आरहे हैं लेकिन सरकारी सतह पर इस तरह की कोई सरगर्मी नज़र नहीं आती। गुज़श्ता दिनों मीडीया के बाअज़ गोशों ने रिपोर्ट पेश की कि वज़ारत-ए-दाख़िला ने अलैहदा तेलंगाना मसला पर सदर जमहूरीया को रिपोर्ट पेश की है जिस में तलंगाना की तशकील को दुशवारकुन मरहला क़रार दिया गया है।

रिपोर्ट में सिरी कृष्णा कमेटी की सिफ़ारिशात को पेश किया गया। सवाल ये पैदा होता है कि वज़ारात-ए-दाख़िला को रास्त तौर पर सदर जमहूरीया को रिपोर्ट पेश करने का इख़तियार हासिल नहीं ही, फिर किस तरह ये रिपोर्ट पेश की गई। क़वाइद के मुताबिक़ वज़ारत-ए-दाख़िला कोई भी रिपोर्ट वज़ीर-ए-आज़म या फिर का बीनी वज़ीर को पेश करती है और काबीना मुबाहिस के बाद उसे सदर जमहूरीया से रुजूकरती है लेकिन तलंगाना के मुआमले में वज़ारत-ए-दाख़िला की सदर जमहूरीया को रास्तरिपोर्ट रवाना करने की बात नाक़ाबिल फ़हम ही। इसी दौरान सीमाआंधरा से ताल्लुक़रखने वाले क़ाइदीन फिर मुतहर्रिक हो गए और नई दिल्ली में अपनी सरगर्मीयों का आग़ाज़करते हुए तलंगाना तशकील की मुख़ालिफ़त शुरू करदी।

दिलचस्प बात तो ये है कि कांग्रेस पार्टी ने अभी तक इस मसला पर अपना ज़हन वाज़िह नहीं किया ही। तलंगाना की मुख़ालिफ़त में बाअज़ मुख़ालिफ़ तलंगाना मीडीया भी सरगर्म होचुका ही। इन सरगर्मीयों के दौरान सदर टी आर इसके चन्द्र शेखर राव‌ की ख़ामोशी पर भी सवाल उठ रहे हैं। चन्द्र शेखर राव‌ ने तलंगाना पोलीटिक्ल जवाइंट ऐक्शण कमेटी की जानिब से उन से मुशावरत के बगै़र एजीटशन प्रोग्राम के ऐलान पर नाराज़गी का इज़हार किया था। पार्टी ज़राए के मुताबिक़ चन्द्र शेखर राव‌ नई दिल्ली में ए आई सी सी के बाअज़ अहम क़ाइदीन से रब्त में हैं और वो अलैहदा तलंगाना के सिलसिले में जारी सरगर्मीयों से वाक़िफ़ हैं।

यही वजह है कि वो ख़ामोशी से सूरत-ए-हाल पर नज़र रखे हुए हैं। ज़राए के मुताबिक़ चन्द्र शेखर राव‌ तलंगाना मसला पर मर्कज़ी हुकूमत पर दबाव‌ डालने के लिए नायब सदर जमहूरीया के इंतिख़ाबात का बाईकॉट भी कर सकते हैं।

पार्टी के क़ाइदीन उन्हें मश्वरा दे रहे हैं कि सदर जमहूरीया की तरह नायब सदर जमहूरीया के इंतिख़ाबात से भी दूओरी इख़तियार की जाय ताकि तेलंगाना अवाम में ये पयाम दिया जा सके कि अलैहदा रियासत के हुसूल केलिए टी आर एसयू पी ए की ताईद करने तैय्यार नहीं। बताया जाता है कि तेलंगाना मसला पर मर्कज़ ने रियास्ती गवर्नर ई ऐस ईल नरसिम्हन से रिपोर्ट तलब की है। इसी दौरान तलंगाना की मुख़ालिफ़त में चीफ़ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी के रिमार्कस से भी तलंगाना क़ाइदीन में मायूसी पाई जाती है।