तेलंगाना मुस्लिम शुहदा को एज़ाज़ का मुतालिबा

हुसूल तेलंगाना के लिए ज़बरदस्त जद्द-ओ-जहद करते हुए अपनी जानों का नज़राना पेश करने वालों में मुस्लमान भी आगे आगे रहे हैं। लिहाज़ा तेलंगाना के लिए जान की क़ुर्बानी देने वाले मुसलमानों के साथ मसावियाना सुलूक करते वए उन्हें भी एज़ाज़ से नवाज़ा जाये।

टी अलमीवा के ज़िलई सदर शेख़ फ़ारूक़ी हुसैन ने एक वफ़द की क़ियादत करते हुए ज़िला कलक्ट्रेट के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफीसर को एक याददाश्त पेश की जिस में चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्र शेखर राव‌ ने मुतालिबा किया गया कि 2 जून ता 7 जून मुनाक़िद होने वाली तक़ारीब में मुस्लिम शुहदाए तेलंगाना को भी एज़ाज़ दिया जाये।

महबूबनगर के नामवर क़ानून दान मसऊद अली फ़ारूक़ी मरहूम 1969 से ज़िला से उठने वाली तेलंगाना तहरीकों के रूह रवां रहे और कई बार क़ैद-ओ-बंद की सऊबतें भी बर्दाश्त कीं।

गदवाल के लतिफ़ अली ख़ान की ख़िदमात नाक़ाबिल फ़रामोश हैं। जड़चरला से ख़लील ने ज़बरदस्त जद्द-ओ-जहद की। उनकी ग़ुर्बत भी उनको अपनी जद्द-ओ-जहद से ना रोक सकी और आख़िर कार शहीद हुए। उनके अरकाने ख़ानदान को 130000 रुपये पेश किए गए।

नागर करनूल के ज़ुबैर ने भी तेलंगाना से अपनी वफ़ादारी का मुज़ाहरा किया और जाम शहादत नोश किया। ज़िला से जो भी माइनॉरिटीज़ तेलंगाना के लिए शहीद हुए हैं उन्हें हुकूमत की तरफ़ से शहीद का मर्तबा दिया जाये। अरकाने ख़ानदान को मआशी इमदाद दी जाये। उनकी औलाद को सरकारी मुलाज़मतें दी जाएं उनके बच्चों को फ़्री एजूकेशन दिया जाये।

सरकारी एज़ाज़ से नवाज़ा जाये। शेख़ फ़ारूक़ हुसैन की ज़ेर क़ियादत वफ़द में अलमीवा जनरल सेक्रेटरी एम ए याक़ूब वहीद और दुसरे शरीक थे।