तेलंगाना स्टेट इलेक्शन कमीशन के लोगो में उर्दू से मज़ाक़

हुकूमत तेलंगाना के तमाम 10 अज़ला में उर्दू को दूसरी सरकारी ज़बान का दर्जा देने का ऐलान कर चुकी है और सरकारी दफ़ातिर में उर्दू के इस्तेमाल का तयक़्क़ुन दिया गया है। हुकूमत के ये ऐलानात और तयक़्क़ुन किस हद तक रूबा अमल लाए जा रहे हैं, इस का अंदाज़ा तेलंगाना स्टेट इलेक्शन कमीशन के लोगो से होता है।

स्टेट इलेक्शन कमीशन के लोगो में तेलुगु और अंग्रेज़ी के इलावा एक और ज़बान शामिल की गई जिसे बज़ाहिर उर्दू कहा जा रहा है लेकिन देखने और पढ़ने में उसे उर्दू क़रार देना महज़ किसी मज़ाक़ से कम नहीं।

ऐसा महसूस होता है कि इलेक्शन कमीशन के हुक्काम ने लोगो में उर्दू शामिल करने के लिए किसी माहिर उर्दूदां की ख़िदमात हासिल करने की बजाय गूगल उर्दू कन्वर्टर का इस्तेमाल किया और इस से हासिल होने वाले नतीजा को लोगो में शामिल कर दिया गया। शामिल की गई ज़बान का शायद ही दुनिया में कोई हो।