दबीरपुरा टीबी हॉस्पिटल को सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में तबदील करने का फ़ैसला

हैदराबाद 31 मार्च: डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर मुहम्मद महमूद अली पुराने शहर की तरक़्क़ी के मुआमले में काफ़ी संजीदा हैं और पार्टी के इंतेख़ाबी वादों को अमली शक्ल देने में मसरूफ़ हैं।

उन्होंने अपने ज़ाती फ़ंडज़ के ज़रीये पुराने शहर के अवाम की तालीम-ओ-सेहत को बेहतर बनाने का तहय्या कर रखा है। चुनांचे हलक़ा असेंबली मलकपेट के इलाके सईदाबाद में 3 करोड़ रुपये की लागत से इंग्लिश मीडियम प्राइमरी स्कूल के क़ियाम का आग़ाज़ किया गया और अब दबीरपुरा में वाक़्ये सरकारी टीबी हॉस्पिटल को 100 बिस्तरों पर मुश्तमिल सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में तबदील करने का फ़ैसला किया गया है। इस प्रोजेक्ट पर 7 करोड़ रुपये की लागत आएगी और इबतेदाई तामीराती कामों के लिए 75 लाख रुपये की रक़म जारी की जा चुकी है।

उन्होंने ज़िला कलेक्टर को तामीराती काम जल्द अज़ जल्द पाया-ए-तकमील को पहुंचाने की हिदायत दी। दबीरपुरा में वाक़्ये टीबी हॉस्पिटल आसिफ़ जाह साबह ने 1938 में क़ायम किया था और तब से ये अवाम की मुफ़्त ख़िदमात अंजाम दे रहा है। इस दौर में दूरदराज़ से लोग यहां बग़रज़ ईलाज आया करते थे। आंध्र प्रदेश के क़ियाम के बाद वक़्त के हुकमरानों ने इस दवाख़ाने को बिलकुल्लिया नजरअंदाज़ कर दिया और सरकारी दवाख़ानों की हालत-ए-ज़ार के सबब ख़ानगी दवाख़ानों को फ़रोग़ मिलने लगा इस तरह ईलाज महंगा और ग़रीब अवाम की बस से बाहर होता गया।

रियासत के तक़रीबन तमाम सरकारी दवाख़ानों में बुनियादी सहूलयात का फ़ुक़दान है। अवाम को बेहतर ईलाज-ओ-मुआलिजा के लिए कॉरपोरेट हॉस्पिटल्स का ही रख करना पड़ता है।

मुहम्मद महमूद अली ने पुराने शहर की ग़रीब अवाम की तिब्बी ज़रूरीयात को महसूस करते हुए दबीरपुरा के इस दवाख़ाने को एक बेहतर और असरी ज़रूरीयात से हम-आहंग बनाने का फ़ैसला किया है।

चीफ़ मिनिस्टर मिस्टर के चन्द्रशेखर राव‌ ने पुराने शहर के मसाइल को हल करते हुए उसे आलमी मयार के हामिल शहर में तबदील करने का वादा किया था और इस की ज़िम्मेदारी उन्होंने डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर महमूद अली को सौंपी।

उन्होंने बताया कि साबिक़ा हुकूमतों की लापरवाही के बाइस दबीरपुरा दवाख़ाने की हालत निहायत ख़स्ता है और इस की छत-ओ-दीवारें कमज़ोर हो चुकी हैं। माज़ी में मुत्तहदा आंध्र प्रदेश के आख़िरी चीफ़ मिनिस्टर ने इस दवाख़ाने को बर्ख़ास्त करके यहां इलेक्ट्रिसिटी दफ़्तर क़ायम करने का फ़ैसला किया था लेकिन टीआरएस की मुख़ालिफ़त के बाइस उन्हें अपना फ़ैसला वापिस लेना पड़ा था।