दयानतदार और मोस्सर हुक्मरानी मेरा नसीबुल ऐन :वज़ीर-ए-आज़म

नई दिल्ली, ०१ जनवरी: (पी टी आई) वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने एक निहायत ही मुश्किल तरीन साल के तल्ख़ तजुर्बात को पस्त पुश्त डालते हुए आज बदउनवानीयों पर अपनी तशवीश का इज़हार किया और रिश्वत सतानी का मसला मर्कज़ीयत हासिल करने पर अफ़सोस ज़ाहिर किया।

उन्हों ने अह्द किया कि एक दयानतदार और ज़्यादा से ज़्यादा मोस्सर हुक्मरानी फ़राहम करने मेरा नसब उल‍ऐन है। उन्हों ने कहा कि में ज़ाती तौर पर एक अच्छी हुकूमत फ़राहम करता हूँ। क़ौम के नाम नए साल के पयाम में उन्हों ने निशानदेही की कि रिश्वत सतानी एक संगीन मसला है।

इस से निमटने के लिए लोक पाल और लोक आयुक्त जैसे अहम हमा रुख़ी ज़िम्मेदार इदारों की ज़रूरत है। ये बड़ी बदबख़ती की बात है कि राज्य सभा की जानिब से लोक पाल और लोक आयुक़्त बिलों को मंज़ूर नहीं किया जा सका लेकिन हुकूमत इस क़ानून को लाने की पाबंद अह्द है।

ये साल जो अभी अभी ख़तम हुआ है सारी दुनिया के लिए निहायत ही मुश्किल तरीन साल रहा। उन्हों ने आलमी सतह पर मआशी बोहरान, समाजी मआशी कशीदगी, कई तरक़्क़ी पज़ीर ममालिक में सयासी बे इतमीनानी का हवाला दिया। उन्हों ने कहाकि इलैक्ट्रॉनिक मीडीया की ग़ैरमामूली रसाई के ज़रीया ज़रूरत से ज़्यादा तवक़्क़ुआत का एक इन्क़िलाब बरपा किया गया है।

नया सोश्यल नेटवर्किंग प्लेट फॉर्म्स फ़राहम करते हुए उसे सारी दुनिया से मरबूत किया गया है। इस मसाइल ने हुकूमतों को सारी दुनिया के गर्द लाखड़ा कर दिया और हिंदूस्तान में हम ने अपने मसाइल को बाहमी तौर पर हल करने की कोशिश की है।

हिंदूस्तान के ताल्लुक़ से ख़ुसूसी बात करते हुए मनमोहन सिंह ने कहाकि मआशी कसादबाज़ारी, इफ़रात-ए-ज़र में इज़ाफ़ा, रिश्वत सतानी के बढ़ते हुए वाक़ियात तशवीश का बाइस बने हैं और ये मर्कज़ी हैसियत इख़तियार करगए हैं। हमें नई उभरती सूरत-ए-हाल से निमटना होगा और पैदा होने वाली तशवीश को दूर करने की ज़रूरत है। हम ना सिर्फ एक तरक़्क़ी पज़ीर मुल्क की हैसियत से आगे बढ़ने के पाबंद अह्द हैं बल्कि एक ऐसी राह पर चलना है जहां तरक़्क़ी यक़ीनी है।

इस नए साल के मौक़ा पर में आप तमाम को तीक़न देना चाहता हूँ कि में एक दयानतदार और सब से ज़्यादा मोस्सर हुकूमत फ़राहम करने के लिए शख़्सी तौर पर काम करूंगा। ये मेरी कोशिश रहेगी कि मैं तामीरी, मसह बिकती और तेज़ रफ़्तार मईशत फ़राहम करूं। समाज और सयासी सतह पर यकसाँ तरक़्क़ीयाती इक़दामात किए जाएं।

करप्शन के मसला पर तशवीश ज़ाहिर करते हुए वज़ीर-ए-आज़म ने उसे एक संगीन मसला क़रार दिया। इस से निमटने केलिए हमा रुख़ी इक़दामात करने की ज़रूरत है। लोक पाल और लोक आयुक़्त जैसे नए इदारों के क़ियाम से ही रिश्वत सतानी का ख़ातमा किया जा सकता है। उन्हों ने कहाकि हमें हुक्मरानी के निज़ाम में भी इस्लाहात लाने की ज़रूरत है।

इस तनाज़ुर में उन्हों ने सिटीज़न चार्टर और अदलिया को पार्लीमैंट में जवाबदेह बनाने जैसे बिलों को मुतआरिफ़ कराने का ज़िक्र किया। इस तरह के इक़दामात के लिए वक़्त दरकार होगा। बिलों को मोस्सर बनाने के लिए हमें सब्र-ओ-तहम्मुल से काम लेते हुए इंतिज़ार करना पड़ेगा। एक और मौक़ा पर वज़ीर-ए-आज़म ने कहाकि पैट्रोलीयम अशीया की क़ीमतों में मरहला वार तौर पर माक़ूलीयत लाई जाएगी। सब्सीडी कम किए जाने के बाद शरह पैदावार पर तवज्जा दी जाएगी।