दलित बच्चे को स्कूल हैंडपंप से नहीं पीने दिया गया पानी, बच्चे की मौत

दमोह: मध्य प्रदेश के दमोह जिले के खमरियां कलां गांव में जात-पात और छूआछूत ने एक बच्चे की बलि ले ली। गांव के सरकारी स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ने वाले 8 साल के बच्चे वीरन को स्कूल के हैंडपंप से सिर्फ इसलिए पानी पीने से रोका गया क्योंकि उसका संबंध दलित समुदाय से था। मिडिया के अनुसार प्यास से तड़पता मासूम वीरन अपनी प्यास बुझाने के लिए कुएं के पास गया वह कुआं उसके लिए मौत का कुआं साबित होआ।

बेड़ीलाल अहिरवार का 8 वर्षीय पुत्र वीरन तेंदूखेड़ा के खमरिया कलां गांव की प्राथमिक स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ता था। वीरन स्कूल में मीड डे मील (मध्याह्न भोजन) खाने के बाद सभी बच्चों के साथ स्कूल की हैंडपंप पर पानी पीने के लिए गया।
लेकिन जात-पात जैसी सामाजिक बुराईयों से अंजान मासूम वीरन के साथ जातिगत भेदभाव करते हुए उसे स्कूल के हैंडपंप से पानी नहीं पीने दिया गया। वीरन अपनी बॉटल में रस्सी बांधकर कुएं से पानी निकालने लगा तभी बॉटल में पानी भरने के दौरान उसका संतुलन बिगड़ गया और वह कुएं में जा गिरा।

हैरत की बात है कि वीरन कुएं में गिर गया लेकिन किसी भी शिक्षक ने उसकी कोई खैर खबर नहीं ली। इस घटना के बाद मौके पर पहुंचे जनपद सीईओ मनीष बागरी ने पूरे स्कूल स्टाफ को निलंबित कर दिया।गांव के इसी सरकारी स्कूल की 5वीं कक्षा में पढ़ने वाले वीरन के भाई सेवक ने बताया कि दलित छात्रों को स्कूल के हैंडपंप से पानी नहीं पीने दिया जाता है। दलित बच्चे हर दिन अपनी जान जोखिम डालकर इसी तरह कुएं से पानी निकालकर पीने को मजबूर रहते हैं। सेवक का आरोप है कि स्कूल के हैंडपंप से शिक्षक पानी नहीं भरने देते हैं। फिलहाल विभाग द्वारा स्कूल के प्रधानाध्यापक भोजराज लोधी सहित 6 शिक्षकों को तत्काल सस्पेंड कर दिया है।

वीरन के परिजनों और गांववासियों के मुताबिक स्कूलों में दलित बच्चों के साथ शिक्षकों द्वारा भेदभाव किया जाता है। पहले तो बच्चे शिक्षकों द्वारा जातिगत भेदभाव की शिकायत अपने परिजनों से करते हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने पर बच्चे स्कूल आने से मना करने लगते हैं।